महोबा जिले में रबी सीजन की शुरुआत के साथ ही यूरिया खाद की किल्लत ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. जैतपुर सहकारी समिति में गुरुवार (11 दिसंबर) को हालात तब बिगड़ गए जब हजारों किसान सुबह से लाइन में लगे रहे, लेकिन शाम तक उन्हें पर्याप्त खाद नहीं मिल सकी. डेढ़ हजार किसानों के मुकाबले सिर्फ 500 बोरी यूरिया आने पर हंगामा मच गया और किसानों के बीच झगड़ा-मारपीट तक हो गई.

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जैतपुर सहकारी संघ पूर्ति भंडार लिमिटेड पर हजारों किसान अपने खेतों के लिए यूरिया लेने पहुंचे थे. डीएपी खाद मिलने के बाद अब गेहूं, मटर और चना की फसलों के लिए यूरिया की मांग बढ़ गई है. लेकिन आपूर्ति कम आने से किसानों का धैर्य टूट गया.

किसानों का कहना है कि सुबह 6 बजे से लाइन में लगे थे, लेकिन शाम तक भी हाथ खाली ही रहा. इतने बड़े जनसमूह के लिए जब सिर्फ 500 बोरी यूरिया आई, तो कूपन सिस्टम लागू करना पड़ा. इसी दौरान कई किसान आपस में भिड़ गए और अफरा-तफरी का माहौल बन गया.

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प्रशासन और ठेकेदार देर से दे रहे हैं यूरिया- किसान

किसान संतोष का कहना है कि डीएपी तो किसी तरह मिल गई, लेकिन यूरिया के लिए रोज लाइन में लगना पड़ रहा है. आरोप है कि ठेकेदार और प्रशासन समय पर खाद उपलब्ध नहीं करा रहे हैं.

स्थानीय किसान धर्मेंद्र सिंह राजपूत और राजबहादुर ने भी आरोप लगाया कि खाद की कालाबाजारी हो रही है और इसी वजह से पर्याप्त स्टॉक किसानों तक नहीं पहुंच पा रहा. उनका कहना है कि अगर इसी तरह देरी होती रही तो रबी की फसलों पर सीधा असर पड़ेगा.

कमी नहीं, ठेकेदार दे रहा सप्लाई- प्रशासन

सहायक निबंधक ने यूरिया की कमी से इनकार किया है. उनका कहना है कि ठेकेदार महेश 5 ट्रकों के जरिए 52 गोदामों तक यूरिया पहुंचा रहा है, इसलिए सप्लाई में समय लग रहा है. अधिकारियों के अनुसार किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है, जल्द ही पर्याप्त स्टॉक पहुंच जाएगा.

किसान माया का कहना है कि गेहूं की बुवाई हो चुकी है और इस समय यूरिया न मिले तो फसल का विकास रुक जाता है. वहीं किसान राजेश ने कहा कि खेतों में मेहनत कर रहे किसानों को खाद के लिए धक्के खाते देखना दुखद है. दोनों ने मांग की कि प्रशासन सख्त कदम उठाए ताकि सभी किसानों को बराबर और समय पर खाद मिल सके.

यूरिया की कमी से पैदा हुई अव्यवस्था किसानों की मेहनत और कृषि उत्पादन दोनों पर असर डाल सकती है. अगर जल्द सप्लाई की स्थिति नहीं सुधरी, तो रबी सीजन में नुकसान तय है. फिलहाल किसान उम्मीद लगाए बैठे हैं कि प्रशासन तुरंत कार्रवाई करे और पर्याप्त यूरिया उपलब्ध करवाए, ताकि उनके खेत समय पर पोषक तत्व पा सकें और फसलें सुरक्षित रहें.