उत्तर प्रदेश के महोबा में एक गरीब परिवार के लिए बिजली का स्मार्ट मीटर मुसीबत क जड़ बन गया हैं, शहर के फुटपाथ पर सुई-धागे से फटे हुए जूते-चप्पल सिलने वाले युवक नंदू अहिरवार के घर में जब से स्मार्ट मीटर लगा है उसका इतना बिल आ रहा है कि जीना मुश्किल हो गया. पीड़ित ने डीएम से मदद की गुहार लगाई है.  

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महोबा के रामनगर में रहने वाला नंदू अहिरवार फुटपाथ पर फटे-पुराने जूते-चप्पल ठीक करने का काम करता है. वो जूते पॉलिश कर रोजाना 100 से 200 रुपये कमा लेता है और इसी परिवार के पांच लोगों का पेट पाल रहा है. घर में दो पक्के कमरे तक नहीं है. जैसे-तैसे उसका जीवन चल रहा है. 

स्मार्ट मीटर से बढ़ गया बिजली का बिल

नंदू के परिवार को सरकार की तमाम योजनाओं का भी कोई लाभ नहीं मिला है. लेकिन, आधुनिक भारत का स्मार्ट मीटर जरूर उसके घर तक पहुंच गया और वही उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी मुसीबत बन गया. 

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नंदू के कच्चे मकान में सिर्फ दो एलईडी बल्ब और दो पंखे हैं. पहले पुराने मीटर से उसका बिजली बिल 250 से 300 रुपये आता था. लेकिन, छह महीने पहले विभाग ने जबरन पुराना मीटर हटाकर स्मार्ट मीटर लगा दिया. कर्मचारियों ने भरोसा दिलाया था कि अब बिल कम आएगा और बिल्कुल सही होगा. 

बिजली के स्मार्ट मीटर ने उसका सबकुछ पलटा दिया. अब उसके बिजली का बिल हर महीने 1000 रुपये तक पहुंच गया है. जो गरीब रोजाना सुई-धागे से दूसरों के जूते जोड़ता है, उसकी अपनी जिंदगी स्मार्ट मीटर ने उधेड़ डाली. बिजली का एक हज़ार रुपये  बिल चुकाना उसके लिए मुश्किल हो गया है. 

पीड़ित ने डीएम से लगाई मदद की गुहार

पीड़ित ने इस बिल को लेकर कई बार बिजली विभाग के चक्कर काटे लेकिन, उसे कोई राहत नहीं मिली. इस परिवार को किसी तरह की सरकारी आवास योजना, न शौचालय, न उज्जवला और ना ही मुफ्त राशन जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ मिला है. लेकिन, स्मार्ट मीटर उसके घर ज़रूर पहुंच गया. 

बिजली का बढ़ा हुआ बिल अब उसकी बेबसी और परेशानियों का सबब बन रहा है. नंदू ने बताया कि मुश्किल से मिलने वाली रोज़ की मजदूरी से वह परिवार का पेट पाल पाता है, ऐसे में हजार रुपये का बिजली बिल भरना उसके लिए असंभव है. वह कई बार बिजली विभाग के चक्कर काट चुका है, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ. मजबूर होकर उसने अपना दर्द डीएम की चौखट पर सुनाया है और मदद की गुहार लगाई है.