उत्तर प्रदेश के महोबा जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और कर्मचारियों की संवेदनहीनता का एक और सनसनीखेज मामला सामने आया है. बीती रात शहर के मोहल्ला रामनगर निवासी रश्मि गोस्वामी अपने 18 वर्षीय बेटे रवि गोस्वामी को तेज पेट दर्द और सांस लेने में तकलीफ के चलते इमरजेंसी वार्ड लेकर पहुंचीं, लेकिन अस्पताल कर्मियों की लापरवाही और अभद्रता ने स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल दी.
वहां मौजूद मीडिया कर्मियों और लोगों ने स्टाफ पर दबाब बनाया उसके बाद युवक का इलाज शुरू हुआ.
इमरजेंसी वार्ड में संवेदनहीनता का नजारा
रश्मि गोस्वामी ने बताया कि उनके बेटे रवि को तेज पेट दर्द और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. रात में वह उसे लेकर जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड पहुंचीं और स्टाफ से ऑक्सीजन और तत्काल इलाज की गुहार लगाई. लेकिन स्टाफ ने न केवल इलाज करने से इनकार किया, बल्कि उनके साथ अभद्रता की और मरीज को देखने तक से मना कर दिया. रश्मि का आरोप है कि विरोध करने पर कर्मचारियों ने उनके साथ बदसलूकी की और उन्हें भगाने की कोशिश की.
मजबूरन रश्मि अपनी बेटी अंजलि के साथ इमरजेंसी गेट पर बैठ गईं और अपने तड़पते बेटे को जमीन पर लिटाकर मदद की गुहार लगाती रहीं. करीब आधे घंटे तक रवि इमरजेंसी गेट पर छटपटाता रहा, लेकिन न तो कोई डॉक्टर आया और न ही स्टाफ ने मदद की. रश्मि ने बताया कि अस्पताल के गार्ड और कर्मचारियों ने उन्हें धमकाकर भगाने की कोशिश की.
मीडिया और पुलिस के दबाव में भर्ती
जब रश्मि और उनकी बेटी अंजलि ने हंगामा शुरू किया और चीख-चीखकर मदद मांगी, तब स्थानीय लोगों ने मीडिया और पुलिस को सूचना दी. मीडिया और पुलिस के मौके पर पहुंचने के बाद हंगामे की स्थिति बनी, जिसके दबाव में अस्पताल प्रशासन ने रवि को भर्ती किया. रश्मि ने आक्रोश जताते हुए कहा कि यह मेरा इकलौता बेटा है. अगर पुलिस और मीडिया समय पर न पहुंचते, तो उसे भर्ती भी नहीं किया जाता. गरीबों के लिए बने इस अस्पताल में गरीबों को ही क्यों दुत्कारा जाता है? क्या मरीजों की जान की कोई कीमत नहीं
वहीं बहन अंजलि ने बताया कि भाई की बिगड़ती हालत देखकर जब उन्होंने इलाज की मांग की, तो स्टाफ ने उनकी मां से अभद्रता की और इलाज से इनकार कर दिया. डॉक्टरों ने भी इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया.
जिला अस्पताल में लापरवाही का सिलसिला
बता दें कि महोबा जिला अस्पताल में मरीजों और उनके तीमारदारों के साथ अभद्रता और लापरवाही की यह कोई पहली घटना नहीं है. आए दिन ऐसी शिकायतें सामने आती रहती हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की. इस घटना ने एक बार फिर सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली की पोल खोल दी है.