Mahant Narendra Giri Death Case: साधू संतों की सबसे बड़ी संस्था अखाड़ा परिषद के दिवंगत अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri) की संदिग्ध मौत के मामले में सीबीआई (CBI) ने अब अपनी जांच खुदकुशी के एंगल पर ही फोकस कर दी है. दरअसल दो हफ्ते की जांच में सीबीआई को अभी तक इस मामले में हत्या का कोई क्ल्यू नहीं मिल सका है. न ही किसी नजदीकी ने हत्या को लेकर पुख्ता तरीके से बयान दिया है या फिर आशंका जताई है. ऐसे में सीबीआई अब यह मान चुकी है कि महंत नरेंद्र गिरि की हत्या नहीं हुई थी और उन्होंने खुदकुशी ही की थी. हालांकि अभी यह साफ नहीं हो सका है कि अगर महंत नरेंद्र गिरि ने खुदकुशी ही की थी तो उसके लिए आनंद गिरि (Anand Giri) ही ज़िम्मेदार हैं या फिर कोई दूसरा.

वैसे सीबीआई अब तक की पूछताछ में आनंद गिरि से भी कुछ ख़ास नहीं उगलवा सकी है. आनंद गिरि की बॉडी लैंग्वेज और कस्टडी में मीडिया को दिए गए दो लाइन के कुछ संदेश भी यही संकेत कर रहे हैं कि वह अपनी भूमिका को लेकर डरने के बजाय आत्मविश्वास से लबरेज दिखाई दे रहे हैं. ऐसे में जांच एजेंसी सीबीआई के सामने महंत नरेंद्र गिरि को खुदकुशी के लिए मजबूर करने वालों की पहचान कर उनके खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाते हुए शिकंजा कसना कतई आसान नहीं होगा.

सीबीआई अब इस बात का पता लगाने में जुटी है

सीबीआई इस चर्चित मामले में कई बार बाघम्बरी मठ के नए महंत और नरेंद्र गिरि के उत्तराधिकारी बलबीर गिरि के साथ ही कई सेवादारों व संतों से पूछताछ कर चुकी है. इसके अलावा महंत नरेंद्र गिरि और आनंद गिरि के बीच लखनऊ में समझौता कराने वाले दोनों नेताओं के बयान भी दर्ज किये जा चुके हैं. समझौता कराने वाले नेताओं से सीबीआई ने दो अक्टूबर को प्रयागराज पुलिस लाइंस के गेस्ट हाउस में घंटों पूछताछ की थी. इन दोनों नेताओं में एक समाजवादी पार्टी से जुड़ा हुआ है तो दूसरा बीजेपी से.

वैसे सीबीआई ने मुख्य आरोपी आनंद गिरि के लैपटॉप व मोबाइल से कुछ आपत्तिजनक सामग्रियां बरामद तो की हैं, लेकिन इन बरामद सामाग्रियों की वजह से ही महंत नरेंद्र गिरि ने खुदकुशी की थी, यह कहना थोड़ा मुश्किल है. वैसे सीबीआई अब इस बात का भी पता लगाने में जुटी है कि महंत नरेंद्र गिरि को हनी ट्रैप का शिकार बनाया गया या फिर सीडी की फर्जी कहानी गढ़कर उन्हें डराया व ब्लैकमेल किया जा रहा था.

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