UP News: वक्फ बोर्ड की तर्ज पर अलग सनातन बोर्ड के गठन की मांग को लेकर प्रयागराज के महाकुंभ में आए साधु संत मुहिम छेड़े हुए हैं. साधु संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इस मांग को लेकर महाकुंभ में 26 जनवरी को धर्म संसद बुलाई है. वहीं दूसरी तरफ अयोध्या की हनुमानगढ़ी के महंत और श्री निर्वाणी अनी अखाड़े के श्री महंत स्वामी धर्मदास जी महाराज ने सनातन बोर्ड के गठन की मांग से असहमति जताते हुए इसे गलत बताया है.
महंत धर्मदास का कहना है कि अलग सनातन बोर्ड के गठन से कुछ भी हासिल नहीं होगा. यह मुद्दा राजनीतिक है. संत महात्माओं का काम धर्म का प्रचार प्रसार करना और लोगों को सही राह दिखाना है. ऐसे में उन्हें सियासी मुद्दों से दूर रहना चाहिए. महंत धर्मदास के मुताबिक सनातन बोर्ड के गठन की मांग करने वालों को खुद सनातनी आदर्शों और मूल्यों का पालन करना चाहिए. अलग बोर्ड से ज्यादा जरूरी सनातन संस्कृति का प्रचार प्रसार है.
उनका कहना है कि अगर हर कोई सनातन के आदर्श व परंपराओं का पालन करने लगे और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करे तो सनातन खुद ब खुद मजबूत होता जाएगा. महंत धर्मदास के मुताबिक संत महात्माओं को खुद को सियासी उठा पटक से दूर रखना चाहिए.
साजिश के तहत हुईं बहराइच और संभल की घटनाएं
महंत धर्मदास का कहना है कि बहराइच और संभल की घटनाएं एक साजिश के तहत अंजाम दी गई. योगी सरकार इस मामले में उचित कार्रवाई कर रही है. सरकार को चाहिए कि वह इतनी सख्त कार्रवाई करे कि दोबारा इस तरह की घटनाएं न हो सके.
अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बन चुका है
महंत धर्मदास के मुताबिक संभल और अजमेर समेत दूसरी जगहों पर मस्जिदों के नीचे मंदिर होने का दावा करना उचित नहीं है. अयोध्या काशी और मथुरा का मामला पूरी तरह अलग है. अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बन चुका है. अब काशी और मथुरा में भी बिना किसी बाधा के पूजा का अधिकार मिलना चाहिए. उनके मुताबिक लेकिन हर मस्जिद के नीचे मंदिर खोजना और दावे करना कतई सही नहीं है. इससे माहौल खराब हो सकता है.