भगवान गौतम बुद्ध की नगरी कौशांबी उत्तर प्रदेश की टॉप-5 अनुसूचित बाहुल्य लोकसभा सीट में शामिल है। चुनाव में अनुसूचित वर्ग के मतदाताओं की अहम भूमिका है। वर्ष 2014 से पहले यह सीट चायल लोकसभा सीट के नाम से जानी जाती थी। चायल संसदीय क्षेत्र में कौशांबी के तीन विस क्षेत्रों के अलावा प्रयागराज की शहर पश्चिमी व फतेहपुर जनपद की खागा विधानसभा सीट शामिल थी।
वर्ष 2014 में हुए चुनाव में इसे संसदीय क्षेत्र कौशांबी का दर्जा मिला। तब विधानसभा शहर पश्चिम व फतेहपुर जनपद के खागा को हटाकर प्रतापगढ़ जनपद के कुंडा व बाबागंज विधानसभा को शामिल किया गया। 1951 में हुए चायल से कांग्रेस प्रत्याशी मुसुरिया दीन सांसद बने। अपने कुशल व्यवहार की वजह से जनता के बीच उनकी साख बनी रही, वो चार बार इस सीट से सांसद बने। समाजवादी पार्टी के नेता शैलेन्द्र कुमार भी इस सीट तीन बार सांसद रह चुके हैं। दो बार यह सीट भाजपा के खाते में जा चुकी है पहली बार डा. अमृतलाल भातीय व 2014 में विनोद सोनकर ने यहां जीत दर्ज की।
कौन कौन हैं प्रत्याशी
भाजपा ने विनोद सोनकर को मैदान में उतारा है। महागठबंधन की तरफ से इन्द्रजीत सरोज मैदान में हैं।
संसदीय क्षेत्र में शामिल विस क्षेत्र
सिराथू, मंझनपुर, चायल और प्रतापगढ़ जिले की कुंडा और बाबागंज विधानसभा सीटें शामिल हैं। कौशांबी से भी देश की सियासत को कई नामचीन चेहरे मिले हैं। इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में यहां से सांसद चुने गए धर्मवीर मंत्री भी रहे थे। पहले यह चायल संसदीय क्षेत्र कहा जाता था।उत्तर प्रदेश की कौशाम्बी लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के विनोद कुमार सोनकर सांसद हैं, साल 2014 में भाजपा ने ये सीट सपा को 42900 वोटों से हराकर हासिल की थी। भारतीय मानचित्र में अलग पहचान रखने वाला कौशाम्बी जिले के रूप में 1997 में अस्तित्व में आया। ये प्रयागराज शहर से 55 किमी की दूरी पर स्थित है। इस जगह का जिक्र महाभारत काल में मिलता है तो वहीं जैन और बौद्ध ग्रंथों में भी इस जगह का उल्लेख है। कौशाम्बी जिले की आबादी 1,599,596 है, जिनमें पुरुषों की संख्या 838,485 और महिलाओं की संख्या 761,111 है।
यहां की औसत साक्षरता दर 61.28% है, कौशाम्बी देश के 250 अति पिछड़े जिलों में शामिल है, इस शहर को अति पिछड़ा अनुदान निधि मिलती है, यहां शिक्षा, रोजगार, पेयजल संकट जैसी बुनियादी जरूरतें मुंह फैलाए खड़ी हैं, कहना गलत ना होगा कि कौशांम्बी आज भी अपनी मूलभूत जरूरतों के लिए आंसू बहा रहा है। कौशांबी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया, यह सीट शुरुआत से ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, इसके अंतरगत उतरप्रदेश की पांच विधानसभा सीटें आती हैं, जिनके नाम हैं बाबागंज, मंझनपुर, कुंदा, चैल और सिराथू, जिनमें बाबागंज और मंझनपुर की विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हैं। 2009 में यहां पहली बार आमचुनाव हुए थे जिसे कि समाजवादी पार्टी के नेता शैलेन्द्र कुमार ने जीता था और उन्हें यहां के पहले सांसद बनने का गौरव हासिल हुआ था लेकिन साल 2014 में ये सीट भाजपा ने अपने नाम की और विनोद कुमार सोनकर यहां से एमपी चुने गए।
पहली बार निर्वाचित हुए विनोद कुमार सोनकर सोलहवीं लोकसभा में वाणिज्य सम्बन्धी मामलों की स्थाई समिति के सदस्य भी हैं। पिछले 5 सालों के दौरान विनोद कुमार सोनकर की लोकसभा में उपस्थिति 86 प्रतिशत रही और इस दौरान उन्होंने 75 डिबेट में हिस्सा लिया और 148 प्रश्न पूछे, साल 2014 के चुनाव में यहां SP दूसरे, BSP तीसरे और कांग्रेस चौथे नंबर पर रही थी, उस साल यहां पर 1738509 मतदाताओं ने हिस्सा लिया, जिसमें 54 प्रतिशत पुरुष और 45 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं। कौशांबी की 85 प्रतिशत आबादी हिंन्दुओं की और 13 प्रतिशत संख्या मुस्लिमों की है।
2135466--------------कुल मतदाता 1113513----------------पुरुष मतदाता 1021953--------------------महिला मतदाता 2014 के आंकड़ें
विनोद सोनकर---भाजपा----मत मिले----331724 शैलेंद्र कुमार-----सपा------मत मिले-----288824 सुरेश पासी------------बहुजन समाजपार्टी-----मत मिले-----201322 महेंद्र कुमार------भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस----मत मिले-----31905