Prayagraj News: उत्तर प्रदेश स्थित प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान प्रशासन लगातार दावा कर रहा है कि टेंट से निकलने वाला पानी साफ़ कर गंगा-यमुना में छोड़ा जा रहा है और इससे नदियों को कोई नुकसान नहीं हो रहा. लेकिन एबीपी न्यूज़ की ग्राउंड रिपोर्ट में पाया गया कि प्रशासन के टेंट से बहने वाला गंदा पानी बिना किसी ट्रीटमेंट के घाट से 20 मीटर दूर एक गड्ढे में डंप किया जा रहा है. विशेषज्ञों के अनुसार, यह तरीका सीधे नाली के पानी को नदी में बहाने से भी अधिक खतरनाक साबित हो सकता है.

यह संगम नोज पुलिस चौकी के पास की स्थिति है, जहां प्रशासन के टेंट भी लगे हैं. इन टेंटों से लगातार गंदा, काला पानी रिसकर एक गड्ढे में जा रहा है. यह गड्ढा नदी के तट से मात्र 20 मीटर की दूरी पर स्थित है और इसमें भरे नाले के पानी से तेज दुर्गंध आ रही है. पर्यावरण और जल विशेषज्ञ डॉ. मनु सिंह के अनुसार, इस तरह टेंटों की गंदगी को गड्ढे में डंप करने से खतरनाक केमिकल और दूषित तत्व ज़मीन की सतह से होते हुए सीधे नदी में पहुंच सकते हैं. यह गंगा-यमुना के लिए एक गंभीर खतरा है और सीधे नाली का पानी नदी में बहाने से भी अधिक हानिकारक हो सकता है.

सीपीसीबी ने रिपोर्ट में संगम जल को बताया बेहद प्रदूषितहाल ही में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट में भी यह खुलासा हुआ था कि महाकुंभ के चलते संगम का जल बेहद प्रदूषित हो चुका है. सीपीसीबी की वेबसाइट पर उपलब्ध डेटा के अनुसार, जनवरी में संगम तट पर कोलीफॉर्म बैक्टीरिया का स्तर 7,000 से भी अधिक पाया गया था. ऐसे में प्रशासन को सिर्फ़ एक टेंट नहीं, बल्कि सभी टेंटों से निकलने वाले पानी का उचित निस्तारण करना होगा, ताकि गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियां प्रदूषण से मुक्त रह सकें.

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