Maha Kumbh 2025: अखाड़ों के संत महात्माओं के बारे में कहा जाता है कि वह शस्त्र और शास्त्र दोनों ही विधाओं में पारंगत होते हैं. शास्त्र के जरिए जहां धर्म - आध्यात्म और ज्ञान की गंगा बहाते हैं, तो वहीं शस्त्र के जरिए सनातन की रक्षा करते हैं. प्रयागराज महाकुंभ में अखाड़ों के संत अपनी इन दोनों कलाओं का बखूबी प्रदर्शन करते हुए नजर आ रहे हैं. शोभा यात्राओं में अस्त्र शस्त्र का प्रदर्शन करने के बाद अखाड़ों में विदाई से पहले कुश्ती के दंगल का आयोजन किया जा रहा है. इस दंगल में प्रवचन और उपदेश देकर धूनी रमाने वाले  संत दंगल में कुश्ती के दांव आजमाते हुए एक दूसरे को पटखनी दे रहे हैं. भगवाधारी संतों का यह कुश्ती दांव लोगों को हैरान और रोमांचित कर रहा है.

वैष्णव संप्रदाय के तीनों अणी अखाड़ों में महाकुंभ क्षेत्र से विदाई से पहले संतो के बीच कुश्ती का आयोजन होता है. इसके लिए अखाड़े में बाकायदा कुश्ती का अखाड़ा सजाया जाता है. कुश्ती लड़ने वाले संत अखाड़े में उतरकर एक दूसरे से हाथ मिलाकर दंगल करने पर अपनी सहमति देते हैं. इसके बाद संत महात्माओं के बीच कुश्ती का खेल शुरू होता है. शनिवार को निर्मोही अणी अखाड़े में दंगल का आयोजन हुआ.

संतो की कुश्ती को देखने के लिए उमड़ते हैं श्रद्धालुकुश्ती के अखाड़े की तरह यहां भी एक रेफरी होता है. रेफरी ही दंगल में मौजूद दोनों संत पहलवानो की सहमति से यह तय करता है कि खेल कितनी देर का होगा. भगवाधारी संत जब पुराने हाथ दिखाते हुए विरोधी को पटखनी देते हैं तो उस वक्त वहां उसी तरह का शोर सुनाई देता है, जैसा गांवों के अखाड़े में कुश्ती के खेल के दौरान सुनाई देता है. अखाड़े के दंगल में भगवाधारी संतो की कुश्ती को देखने के लिए बड़ी संख्या में महात्मा और श्रद्धालु मौजूद होते हैं. इस दौरान हर दांव पर जमकर तालियां बजाई जाती है तो बीच में उत्साहित श्रद्धालु सीटी मारने से भी नहीं चूकते. 

शनिवार को वैष्णव संप्रदाय के निर्मोही अणी अखाड़े में कुश्ती का आयोजन हुआ. इस मौके पर तकरीबन दो दर्जन भगवाधारियों ने दंगल में अपने दांव आजमाए. दंगल पर शुभारंभ अखाड़े के अध्यक्ष और श्री महंत राजेंद्र दास ने किया. यहां जीत हासिल करने वाले पहलवान संतो को हनुमान जी की गदा के साथ ही नगद पुरस्कार भी दिए गए.

ये भी पढ़ें: इस स्कीम का फायदा मिलने के बाद परिवार ने सीएम योगी को माना भगवान, मिली नौकरी