UP Nagar Nikay Chunav Result 2023: उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के नतीजे आ गए हैं. कुल 17 नगर निगमों में बीजेपी के टिकट पर मेयर जीते हैं. लखनऊ नगर निगम कार्यकारिणी में भी बीजेपी की बल्ले-बल्ले है. कांग्रेस को नगर निगम की कार्यकारिणी में जगह फिर नहीं मिलेगी. 12 सदस्यों की कार्यकारिणी में सपा को दो सीट मिल सकती है. ऐसे में बीजेपी की तरफ से लाया गया प्रस्ताव आसानी से पास होना तय है. 10 लाख से अधिक लागत के सभी कामों को कार्यकारिणी की मंजूरी जरूरी है. मेयर की अध्यक्षता में नगर निगम की 12 सदस्यीय कार्यकारिणी प्रदेश सरकार की तर्ज पर काम करती है. बता दें कि लखनऊ नगर निगम में 110 वार्ड हैं. 


निगम कार्यकारिणी में बीजेपी की बहार


ऐसे में एक कार्यकारिणी सदस्य के लिए औसत 10 से 15 वोट तक आता है. निर्वाचित पार्षद, विधान परिषद सदस्य, स्थानीय विधायक, लोकसभा सदस्य और राज्यसभा सदस्य भी कार्यकारिणी सदस्यों के लिए मतदान करते हैं. कार्यकारिणी सदस्य नगर निगम सदन के पदेन माने जाते हैं. पिछली बार नगर निगम की 12 सदस्यीय कार्यकारिणी में बीजेपी के 8 और सपा के 4 थे. उस समय कांग्रेस का सिर्फ 8 पार्षद होने की वजह से नगर निगम की कार्यकारिणी में एक भी सदस्य नहीं था. बजट समेत नगर निगम से जुड़े सभी नीतिगत फैसले कार्यकारिणी सदस्यों के सामने जाते हैं. कार्यकारिणी से मंजूरी मिलने के बाद प्रस्ताव सदन में रखे जाते हैं. नगर निगम सदन गठित हो जाने के बाद 12 सदस्य पार्षदों में से चुने जाते हैं.


जानिए सदस्यों का कैसे होता है चुनाव?


छह सदस्य पहली बार एक साल पूरा होने पर लॉटरी डालकर रिटायर किए जाते हैं. बाकी बचे छह सदस्य दो साल का कार्यकाल पूरा करते हैं. रिटायर हुए 6 सदस्यों की जगह को भरने के लिए चुनाव होता है. बजट को सबसे पहले कार्यकारिणी से पास कराने के बाद फिर सदन में ले जाया जाता है. जमीन और मकान आवंटन से जुड़े सभी मामलों पर कार्यकारिणी की मंजूरी जरूरी होती है. गृह कर में छूट के साथ समय बढ़ाने का प्रस्ताव भी कार्यकारिणी में लाना जरूरी होता है. सड़क, चौराहा के नामकरण का प्रस्ताव भी नगर निगम कार्यकारिणी पास करती है. भ्रष्टाचार और अनियमितता के अन्य मामलों पर कार्रवाई की संस्तुति, समिति बनाने का अधिकार कार्यकारिणी को है. पार्षदों का कोटा बढ़ाने, कोटा की किस्त जारी करने का प्रस्ताव भी कार्यकारिणी ही पास करती है. 


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