उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नगर निगम में एक बार फिर बांग्लादेशी और रोहिंग्या सफाई कर्मियों का जिन्न बाहर आया है. प्रशासन को मिली रिपोर्ट के मुताबिक बड़ी संख्या में बांग्लादेशी नागरिक और रोहिंग्या सफाई के कार्य में लगे हैं. इसके बाद हरकत में आए नगर निगम प्रशासन ने एक्शन लिया है, जिसमें नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने सभी जोनल सेनेटरी अधिकारियों को निर्देश जारी कर एक हफ्ते के अंदर कार्यदायी संस्थाओं के सभी सफाईकर्मियों का पुलिस सत्यापन कराने का आदेश दिया है.

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उधर खुद लखनऊ मेयर सुषमा खर्कवाल ने सोमवार से अभियान चलाकर संदिग्ध कर्मियों को चिन्हित करने की बात कही है. माना जा रहा है कि इनकी संख्या हजारों में हो सकती है. ठेकेदार सस्ते लेबर के लिए इनसे काम ले रहे हैं. स्थानीय सफाई कर्मी संगठनों ने भी इस सम्बन्ध में कई बार शिकायतें की हैं.

कूड़ा उठान का काम आउट सोर्सिंग से हो रहा

लखनऊ में सफाई और कूड़ा उठाने के लिए नगर निगम द्वारा प्राइवेट आउट सोर्स कम्पनियों को हायर किया गया है. इसमें हजारों कर्मचारी अलग-अलग इलाकों से कूड़ा उठाने का काम कर रहे हैं. नगर निगम को मिली रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन कर्मियों में जयादातर बांग्लादेश के नागरिक या फिर रोहिंग्या है, जबकि ये खुद को पश्चिम बंगाल या असम का बताते हैं. ठेकेदार इनसे कम रुपयों में काम करवाते हैं.

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नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि सभी जोनल अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि सभी सफाई कर्मियों का पुलिस सत्यापन कराया जाए. इसके अलावा जो भी बांग्लादेशी या रोहिंग्या हैं उन्हें तत्काल हटाया जाए. ऐसी कम्पनियों को ब्लैक लिस्ट किया जाएगा.

मेयर सोमवार से फील्ड में उतरेंगी

सोमवार से मेयर सुषमा खर्कवाल खुद इस अभियान की कमान संभालेंगी. उन्होंने कहा की पहले भी इस तरह की शिकायतें मिलीं थीं, इस बार इन पर सख्त एक्शन होगा. उधर अखिल भारतीय वाल्मीकि महासभा ने भी सफाई कार्य में बांग्लादेशियों को प्राथमिकता देने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है, उनके मुताबिक इससे स्थनीय लोगों का रोजगार छिन रहा है. बता दें कि इससे पहले भी बीजेपी समेत लखनऊ नगर निगम के पार्षद बांग्लादेशी और रोहिंग्या सफाई कर्मियों का मुद्दा उठा चुके हैं