Maulana Kaleem Siddiqui ATS Remand: देश में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण (Conversion) कराने के आरोपी मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) के मौलाना कलीम सिद्दीकी (Maulana Kaleem Siddiqui) की 10 दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड एटीएस (ATS) को मिल गई है. एटीएस के आईजी जीके गोस्वामी ने बताया कि शुक्रवार सुबह 10 बजे से रिमांड शुरू होगी. इस दौरान मौलाना कलीम सिद्दीकी को नई दिल्ली शाहीन बाग स्थित उनकी संस्था ग्लोबल पीस सेंटर ले जाया जाएगा. सेंटर की तलाशी ली जाएगी और वहां रखे कंप्यूटर, लैपटॉप व अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण व दस्तावेज जांच के लिए जब्त किए जाएंगे.


आईजी ने बताया कि मौलाना कलीम सिद्दीकी को दिल्ली के साथ ही मेरठ और मुजफ्फरनगर ले जाया जाएगा. मौलाना ग्लोबल पीस सेंटर के साथ ही जमीयत ए इमाम वलीउल्लाह ट्रस्ट का संचालन करता है और देश के विभिन्न हिस्सों में कई मदरसे भी चलाता है. ग्लोबल पीस सेंटर, जमीयत ए इमाम वलीउल्लाह ट्रस्ट और मदरसों के माध्यम से मौलाना गैर मुस्लिमों को लालच देकर या डरा धमकाकर मुस्लिम धर्म में शामिल कराने का काम करता है. एटीएस की टीम ग्लोबल पीस सेंटर और जमीयत ए इमाम वलीउल्लाह ट्रस्ट के ऑफिस भी जाएगी और वहां की तलाशी लेगी. दिल्ली, मेरठ और मुजफ्फरनगर में धर्मांतरण सिंडिकेट से जुड़े लोगों को चिन्हित किया गया है. इस मामले में एटीएस कुछ और गिरफ्तारियां भी कर सकती है. मुजफ्फरनगर निवासी मौलाना कलीम सिद्दीकी को एटीएस ने मंगलवार रात मेरठ से गिरफ्तार किया था.


मौलाना के पास मिले देशी-विदेशी सिमकार्ड


एटीएस अधिकारियों ने बताया कि मौलाना कलीम सिद्दीकी के पास से 7 देशी और विदेशी सिमकार्ड बरामद हुए हैं. उसके मोबाइल फोन और सिमकार्ड का डाटा खंगाला जा रहा है. साथ ही मौलाना के ग्लोबल पीस सेंटर और जमीयत ए इमाम वलीउल्लाह ट्रस्ट के बैंक खातों की भी पड़ताल की जा रही है. बैंक खातों में खाड़ी देशों से धर्मांतरण के लिए रकम भेजी जाती थी. उसके खातों में 3 करोड़ रुपये पाए गए हैं जिसमें से डेढ़ करोड़ रुपए एक ही बार में बहरीन से भेजे गए थे. यह रकम हवाला के जरिए अवैध रूप से खातों में भेजी गई थी.


उमर गौतम की संस्था इस्लामिक दावाह सेंटर से भी जुड़ा था मौलाना कलीम


मौलाना कलीम सिद्दीकी कुछ दिन पहले गिरफ्तार धर्मांतरण रैकेट के सरगना उमर गौतम की संस्था इस्लामिक दावाह सेंटर से भी जुड़ा था. एटीएस के अधिकारियों ने बताया कि इस्लामिक दावाह सेंटर को खाड़ी देशों से जो संस्थाएं फंडिंग करती थीं, वही संस्थाएं मौलाना कलीम सिद्दीकी के ट्रस्ट को भी रुपया देती थीं.



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