Uttar Pradesh Politics: बीजेपी को 2024 के लोकसभा चुनाव में घेरने के लिए नीतीश कुमार तीसरे मोर्चे की कवायद कर रहे हैं. उन्होंने पटना में 23 जून को विपक्षी दलों के बड़े नेताओं की बैठक बुलाई है. बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी शामिल होंगे. मायावती को विपक्षी दलों की बैठक में नहीं बुलाया गया. अब सवाल उठ रहा है कि उत्तर प्रदेश में बिना बीएसपी के तीसरा मोर्चा कितना कारगर साबित होगा. उत्तर प्रदेश से बसपा के 10 लोकसभा सांसद हैं. बहुजन समाज पार्टी ने पूछा है कि उत्तर प्रदेस में नीतीश कुमार और ममता बनर्जी का कितना वोट बैंक है. बहुजन समाज पार्टी का उत्तर प्रदेश के अलावा पूरे देश में वोट बैंक और जनाधार है. मायावती को नजरअंदाज कर कोई भी मोर्चा सफल नहीं हो सकता. 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा का एक प्रत्याशी जीता था. बावजूद वोट प्रतिशत 13 फीसदी के आसपास था.


मायावती को विपक्षी दलों की बैठक का नहीं मिला न्योता


विधानसभा चुनाव में बसपा को 12.9 फीसदी वोट मिले थे. हालिया संपन्न नगर पंचायत चुनाव में बसपा के 6.8 फीसदी अध्यक्ष जीते. नगर पालिका में 8 .04 फीसदी अध्यक्षों को जीत मिली. हालांकि नगर निगम में बसपा का वोट प्रतिशत जरूर घटा. 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा बसपा का गठबंधन था. उस दौरान सपा को केवल 5 सीटें मिली थीं और बसपा को 10 सीटों पर जीत हासिल हुई. सपा से वोट प्रतिशत भी बसपा का ज्यादा था. महागठबंधन में मायावती का ना होना क्या बीजेपी के लिए फायदेमंद होगा? बीजेपी नेताओं का कहना है कि गठबंधन से पार्टी को फर्क पड़नेवाला नहीं है.


यूपी में बसपा बिना तीसरा मोर्चा कितना होगा कारगर?


उन्होंने दावा किया कि इस बार उत्तर प्रदेश में 80 की 80 सीटें बीजेपी को ही मिलेंगी. हालांकि सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर कई बार इस बात को कह चुके हैं कि बिना मायावती के कोई भी मोर्चा उत्तर प्रदेश में कारगर साबित नहीं हो सकता. ओमप्रकाश राजभर ने तो यहां तक कहा है कि जिस दिन मोर्चे में मायावती को शामिल किया जाएगा उसी दिन वह भी मोर्चे में शामिल हो जाएंगे. उत्तर प्रदेश में विधानसभा की कुल 403 सीटें हैं. 86 सीटें रिज़र्व श्रेणी में हैं. 84 सीटें एससी के लिए और दो सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं. जाहिर है आरक्षित सीटों पर भी बहुजन समाज पार्टी का अच्छा खासा प्रभाव है. गठबंधन बनने पर बसपा का उम्मीदवार आरक्षित सीटों पर सियासी गणित बिगाड़ सकता है. 


Lok Sabha Election: 23 जून को पटना में जुटेंगे विपक्षी दलों के नेता, मायावती को निमंत्रण नहीं मिलने पर क्या बोली BSP?