हरिद्वार, एबीपी गंगा। ब्रिटिश शासनकाल में निर्मित लक्ष्मण झूला पुल अब लोगों के आवागमन की दृ़ष्टि से सुरक्षित नहीं है। फिलहाल अधिकारियों ने इसे बंद कर दिया है। बताया जा रहा है कि पुल का टावर एक ओर झुक हुआ प्रतीत हो रहा है। सुरक्षा की दृष्टि के चलते यह निर्णय लिया गया है।

90 वर्ष पुराना एशिया का सबसे पहला सस्पेंशन ब्रिज जोकि ब्रिटिश शासन काल में बनकर तैयार हुआ था आज उस पुल पर खतरा मंडराने लगा है लोक निर्माण विभाग के द्वारा लक्ष्मण झूला पुल को लेकर एक सर्वे किया गया जिस सर्वे रिपोर्ट के आधार पर यह निकल कर आया की पुल की स्थिति जर्जर है और पुल एक ओर झुक रहा है लोक निर्माण विभाग ने अपने इस सर्वे रिपोर्ट को शासन में प्रस्तुत किया जिसके बाद अपर मुख्य सचिव आलोक कुमार ने तत्काल प्रभाव से पुल को बंद करने का आदेश जारी कर दिया। पुल के बंद होने के आदेश के बाद अब सबसे बड़ी चुनौती कावड़ यात्रा को लेकर पैदा हो गई है

दरअसल, कांवड़ मेले में इस वर्ष 50 से 60 लाख कावड़ियों के आने की संभावना है ऐसे में लक्ष्मण झूला पुल के बंद होने पर प्रशासन को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, अभी तक पुल को बंद नहीं किया गया है लेकिन आदेश आने के बाद अधिकारियों के बैठक का दौर भी शुरू हो गया है।

अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने बताया कि ऋषिकेश स्थित लक्ष्मण झूला सेतु को आज से आवागमन के लिए बंद कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि यह पुल वर्ष 1930 में निर्मित हुआ था, जो वर्तमान में तत्समय के सापेक्ष अप्रत्याशित यातायात वृद्धि के कारण काफी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। पुल के टावर एक ओर झुके हुए प्रतीत हो रहे हैं। यातायात घनत्व और अधिक होने के कारण भविष्य में पुल के क्षतिग्रस्त होने की आशंका है। इसके फलस्वरूप जनहानि की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने जानकारी दी कि इस वर्ष 20 जनवरी को डिजाइन टेक स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट्स द्वारा विस्तृत तकनीकी के माध्यम से इस पुल का अध्ययन किया गया था। जिसमें पता चला कि वर्ष 1930 में निर्मित यह पुल अपनी उम्र पूरी कर चुका है।

डिजाइन टैक स्ट्रक्चरल कन्सलटैंट की आबजर्वेशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि 'हमने देखा कि अधिकांश पुल के पुर्जे और अन्‍य सामान खराब हो गए हैं और ढहने की स्थिति में हैं। इस पुल को अब से पैदल यात्रियों के आवागमन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। लक्ष्मण झूला ब्रिज ऋषिकेश ही नहीं देश की धरोहर है जिसे देखने मात्र के लिए भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लोग यहां पहुंचते हैं, वही पुल के बंद होने की सूचना मिलने के बाद स्थानीय व्यापारी भी हताश हैं व्यापारियों का कहना है कि उनका सारा व्यापार लक्ष्मण झूला पुल पर ही निर्भर करता है क्योंकि पैदल आवाजाही के लिए एकमात्र रास्ता है अगर पुल बंद हो जाता है तो उनके व्यापार पर खासा असर पड़ेगा व्यापारियों का कहना है कि सरकार को इस बिल को बंद करने के बजाय इसकी मरम्मत करवाए।

11 अप्रैल 1930 में बना लक्ष्मण झूला पुल 90 वर्ष पुराना है, इस पुल की नींव अंग्रेजी हुकूमत ने 1927 में रखी थी जिसके बाद 1930 में लोगों की आवाजाही के लिए इस पुल को खोल दिया गया था इसको देखने के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पंहुचते हैं। लक्षमण झूला एक 450 फीट लम्बा झूलता हुआ पुल है जहां से नदी, मन्दिरों और आश्रमों का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है। मूलतः यह जूट का बना एक पुल था जिसे सन् 1939 में लोहे के झूलते हुये पुल के रूप में पुनर्निर्मित किया गया था।