उत्तराखंड के बद्रीनाथ क्षेत्र में एक बार फिर ग्लेशियर टूटने की घटना सामने आई है. बताया जा रहा है कि शुक्रवार (17 अक्टूबर) कुबेर पर्वत से टूटकर आया हिमखंड कंचनगंगा नाले में गिरा. हालांकि, राहत की बात यह रही कि इस घटना में कोई जान-माल का नुकसान नहीं हुआ.

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उपजिलाधिकारी चंद्रशेखर वशिष्ठ ने जानकारी दी कि ग्लेशियर के साथ कुछ चट्टानें भी खिसकी हैं, लेकिन स्थिति नियंत्रण में है. और किसी प्रकार की आपदा की खबर नहीं है. उत्तराखंड में लगातार हो रही घटनाओं से नागरिकों में चिंता बनी हुई है.

यहां पहले भी हो चुकी हैं घटनाएं

बचा दें, यह क्षेत्र पहले भी ऐसी घटनाओं का गवाह बन चुका है. 28 फरवरी 2025 को भारत-चीन (तिब्बत) सीमा के पास माणा कैंप के नजदीक भारी हिमस्खलन हुआ था, जिसमें निर्माण कार्य में लगे 55 मजदूर बर्फ में दब गए थे.

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वहीं, साल 2021 में चमोली जिले के रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने से भीषण तबाही मची थी, जिसमें 206 लोगों की जान गई थी. ऋषिगंगा नदी में अचानक आई बाढ़ ने कई निर्माणाधीन परियोजनाओं को नष्ट कर दिया था.

विशेषज्ञों का क्या कहना है?

वहीं लगातार हो रही ऐसी घटनाएं पहाड़ी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के खतरों और पर्यावरणीय असंतुलन की ओर इशारा कर रही हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि समय रहते चेतावनी और रोकथाम के उपाय नहीं किए गए तो भविष्य में इससे भी बड़ी आपदाएं सामने आ सकती हैं.

फिलहाल इस घटना के बाद आपदा प्रबंधन विभाग पूरी तरह से सतर्क हो गया है. इस घटना में किसी प्रकार के जान माल की हानि तो नहीं हुई है, लेकिन हादसा बेहद खतरनाक था. इसको देखते हुए सतर्कता बढ़ती जा रही है. क्योंकि बारिश का मौसम खत्म होने के बाद अब धीरे-धीरे पहाड़ दरकने लगेंगे इसको लेकर लोगों से सावधानी बरतने के लिए कहा जा रहा है. 

बता दें कि प्रदेश में पहले भी कहीं आपदाएं आ चुकी हैं इससे आपदा प्रबंधन विभाग पहले ही सावधानी बरत रहा है इस वीडियो के सामने आने के बाद लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है.