UP Politics: अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज है. अब महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव देव मौर्य का विवादित बयान सामने आया है. केशव देव मौर्य ने कहा कि भगवान राम में मेरी कोई आस्था नहीं है, मैं राम को भगवान नहीं मानता हूं. जो राम को भगवान मानें वो मानते रहें, मैं मूर्ति पूजा को नहीं मानता हूं और न ही किसी भगवान के सामने हाथ जोड़कर भीख मांगता हूं.


केशव देव मौर्य ने कहा कि मैं राम की पूजा नहीं करता इसलिए राम मंदिर से मेरा कोई नाता नहीं है. राम मंदिर को लेकर किसी को न्योता देने की क्या जरूरत है. जिसे आना होगा वो आएगा. जिसे नहीं जाना होगा वो नहीं जायेगा. भाजपा वोट बैंक का फायदा लेने के लिए राजनीतिक स्टंट कर रही है. भाजपा कौन होती है राम मंदिर का न्योता देने वाली. राम सबके हैं, जिसे दर्शन करने जाना होगा वो जायेगा. ये उत्सव केवल लोकसभा चुनाव के लिए किया जा रहा है. 


"कांग्रेस को राम मंदिर में जरूर जाना चाहिए"


उन्होंने आगे कहा कि अखिलेश यादव राम मंदिर में जाएं या ना जाएं पर कांग्रेस को राम मंदिर में जरूर जाना चाहिए. राम मंदिर कांग्रेस की ही देन है. राजीव गांधी के समय में अयोध्या में राम मंदिर का ताला खुलवाकर मूर्तियां रखवाई थीं और जितने भी दंगे और विवाद हुए थे वह सब राजीव गांधी की देन हैं. इसलिए कांग्रेस को तो जरूर राम मंदिर में जाना ही चाहिए. क्योंकि ये राम मंदिर कांग्रेस की ही देन है. कांग्रेस का राम मंदिर में बड़ा योगदान है इसलिए कांग्रेस नेता राम मंदिर जरूर जाएं. 


"रामभद्राचार्य आंख के नहीं, अक्ल के अंधे"


केशव देव मौर्य ने कथावाचक रामभद्राचार्य महाराज पर कहा कि रामभद्राचार्य आंख के नहीं, अक्ल के अंधे हैं. रामभद्राचार्य भाजपा के कार्यकर्ता हैं और भाजपा के लिए प्रचार कर वोट मांगते हैं. उनको इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए और इस तरह के बयान यही साबित कर रहे हैं कि देश में संविधान की हत्या की जा रही है. अगर यही बात कोई और दलित या पिछड़ा कह देता तो अब तक उसे पर कार्रवाई हो चुकी होती पर रामभद्राचार्य बीजेपी के कार्यकर्ता हैं इसलिए उन पर कोई कार्रवाई नहीं होगी. 


"कठोर कार्रवाई होनी चाहिए"


उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि रामभद्राचार्य पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए और मुकदमा दर्ज होना चाहिए. संत हैं तो उनको इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए. क्योंकि ये भाजपा के कार्यकर्ता हैं और भाजपा को फायदा पहुंचाना है इसलिए इस तरह के बयान दिए जा रहे हैं. अब लोगों को समझ जाना चाहिए ये लोग संविधान को खत्म करना चाहते हैं. बता दें कि, रामभद्राचार्य ने दलितों के लिए विवादित बयान देते हुए जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया है.


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