वाराणसी में 2 दिसंबर से काशी तमिल संगमम की शुरुआत हो रही है. इस दौरान दोनों प्राचीन शहर के ज्ञान परंपराओं संस्कृतियों को जोड़ने का प्रयास रहेगा. यह चौथा वर्ष है जब वाराणसी में यह सांस्कृतिक आयोजन हो रहा है. इस बार यह संस्करण लेट्स लर्न तमिल करकलम पर आधारित है, जिसमें तमिल भाषा सीखने और भाषा की एकता को संगमम के केंद्र में रखा गया है. इस दौरान दोनों शहरों की प्राचीन विरासत और संस्कृति का एक अच्छे माहौल में आदान-प्रदान होगा.

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समारोह का समापन रामेश्वरम में

2 दिसंबर से काशी तमिल संगमम की शुरुआत हो रही है. इस वर्ष खास तौर पर तमिल भाषा के अध्ययन को केंद्र में रखा गया है. यह चौथा वर्ष है जब काशी तमिल संगमम का आयोजन किया जा रहा है. इस आयोजन के दौरान चार प्रमुख पहल की गई है. उत्तर प्रदेश में छात्रों को तमिल अध्ययन का लर्निंग, खास तौर पर काशी के अलग-अलग क्षेत्र में तय किया गया है.

वाराणसी के स्कूलों में 50 हिंदी जानने वाले तमिल अध्यापक तैनात किए जाएंगे. इसके अलावा उत्तर प्रदेश आने से पहले भी ये सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ क्लासिकल तमिल में ट्रेनिंग लेंगे. प्रत्येक अध्यापक 30 छात्रों के बैच के साथ स्पोकेन तमिल मॉडल चलायेंगे, इस पहल के जरिए 1500 छात्र तमिल सीखेंगे.

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उत्तर प्रदेश के कुल 300 छात्र 2 दिसंबर से 10 बैच में तमिलनाडु पहुंचेंगे. उत्तर भारत के युवाओं में तमिल भाषा को सिखाने विरासत और संस्कृति को जानने के लिए सीधा जोड़ने का प्रयास रहेगा. वहीं अलग-अलग पहल में एक अगस्त्य अभियान है जिसके माध्यम से तमिल और भारतीय परंपरा में गहराई से जुड़े एक सभ्यतागत रास्ते को दर्शाया जाएगा. इसका समापन रामेश्वरम में किया जाएगा.

छात्रों और अध्यापकों की विशेष तैयारी

इस आयोजन में छात्रों और अध्यापकों की विशेष भागीदारी रहेगी. तमिल अध्ययन को प्रभावी बनाने के लिए अध्यापकों को सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ क्लासिकल तमिल में प्रशिक्षण दिया गया है और छात्रों को 30-30 के बैच में स्पोकेन तमिल मॉडल के तहत पढ़ाया जाएगा. इस पहल से छात्रों की भाषा क्षमता बढ़ेगी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बल मिलेगा.

इस संगमम में अगस्त्य अभियान के जरिए तमिल और भारतीय परंपराओं का गहरा सांस्कृतिक संबंध दिखाने का प्रयास होगा. यह पहल तमिल भाषा और संस्कृति की समृद्ध विरासत को समझने और उसका प्रसार करने के उद्देश्य से की जा रही है.

काशी और तमिलनाडु की संस्कृति को मजबूत बनाना

वाराणसी जिला प्रशासन की तरफ से युद्ध स्तर पर इसको लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है. वाराणसी जिला प्रशासन के साथ-साथ शासन के अनेक दिग्गजों की मौजूदगी में इस पूरे आयोजन को संपन्न किया जाएगा. इसका प्रमुख उद्देश्य है कि काशी और तमिलनाडु की संस्कृति और विरासत को और मजबूती के साथ जोड़ा जाए.