उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां 9 साल बाद SIR फॉर्म भरने आए युवक को परिवार वालों ने ही पहचानने से निकार कर दिया. जिसके बाद काफी हंगामा हुआ और पुलिस और गांव वालों की कई घंटे चली पंचायत के बाद परिजन शांत हुए.
दरअसल युवक साधू के वेश में पहुंचा था और आजकल हिमाचल प्रदेश में रह रहा था. पुलिस को उसने अपने प्रमाण पत्र दिखाए जिसके बाद उसकी पहचान की पुष्टि हुई. यह मामला पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है.
क्या है पूरा मामला ?
सजेती थाना क्षेत्र के धरमंगदपुर गांव निवासी स्वर्गीय इंद्रपाल सचान का पुत्र सर्वेश उर्फ कल्लू सचान ने कानपुर के डीएवी कॉलेज से स्नातक की शिक्षा पूरी की थी. पढ़ाई के बाद वर्ष 1989 में वह घर छोड़कर हरिद्वार चला गया.
कुछ समय बाद उसने साधु जीवन अपना लिया और हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के दौड़ी देवी टपरे गांव स्थित शिवशक्ति धाम मंदिर में रहने लगा. इसके बाद वह कभी-कभी गांव आता था. करीब 9 वर्ष पहले सर्वेश गांव आया था, उस समय पारिवारिक जमीन और हिस्सेदारी को लेकर माता-पिता व अन्य परिजनों से उसका विवाद हो गया था.
विवाद इतना बढ़ा कि ग्रामीणों के हस्तक्षेप और विरोध के बाद उसे गांव छोड़कर जाना पड़ा था. इसके बाद वह लंबे समय तक गांव नहीं लौटा.
अब एसआईआर फॉर्म भरने के लिए आवश्यक शैक्षिक व पारिवारिक दस्तावेजों की जरूरत पड़ने पर वह 3 दिसंबर को साधु के वेश में गांव पहुंचा.
5 घंटे तक पंचायत चली, इसके बाद मामला शांत हुआ
गांव आने के बाद वह अपने रिश्तेदार सुभाष के घर ठहरा. साधु वेश में सर्वेश के गांव पहुंचने की सूचना जब घाटमपुर में रह रहे परिजनों को लगी, तो उन्होंने किसी नए विवाद की आशंका जताते हुए गांव पहुंचकर उसे पहचानने से ही इनकार कर दिया.
गांव वालों ने सजेती पुलिस को सूचना दी. सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने साधू से पूछताछ की. इस दौरान सर्वेश ने अपनी मार्कशीट, पुराने कागजात और पहचान संबंधी दस्तावेज पुलिस को दिखाए, जिससे उसकी पहचान हुई.
इसके बाद गांव में पांच घंटों तक पंचायत चली. पुलिस और ग्रामीणों के समझाने के बाद परिजनों ने आपत्ति छोड़ दी. पुलिस का कहना है, कि मौके पर शांति व्यवस्था बनी रही और किसी पक्ष की ओर से कोई लिखित शिकायत नहीं दी गई है.