Kanpur News: शिक्षा का एक बड़ा क्षेत्र कानपुर आईआईटी है, जहां पढ़ने का सपना अमूमन हर बच्चे का होता है. साथ ही माता पिता भी चाहते हैं कि उनके बच्चे को शिक्षा अच्छे और बड़े संस्थान से मिले जिसके बाद उनके बच्चे का भविष्य बन सके. लेकिन पिछले कुछ आंकड़े और पुरानी घटनाओं पर नजर डाला जाए तो कानपुर आईआईटी में खुदकुशी करने वाले बहुत से छात्र-छात्रों ने अलग अलग कारणों के चलते खुदकुशी कर ली.

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लेकिन अब इन्हीं बच्चों की जिंदगी को बचाने और उनके खुदकुशी जैसे कदमों को रोकने के लिए कानपुर आईआईटी में वेलनेस सेंटर बनने की तैयारी की जा रही है. जिसका नाम सेंटर फॉर मेंटल वेलनेस रखा गया है. कानपुर आईआईटी परिसर में एक वेलनेस सेंटर बनाया जा रहा है. जिसे बनने में तकरीबन तीन महीनों का समय लगेगा, क्योंकि निर्माण कार्य जारी है. इस वेलनेस सेंटर में काउंसलर, उच्च स्तरीय मनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिक की तैनाती की जाएगी. 


कैंपस में मनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिक नियुक्त किया
अभी तक कैंपस में 9 काउंसलर मौजूद हैं. जो छात्र छात्रों की काउंसलिंग कर रहे थे, लेकिन उसके बाद भी हादसे होते जा रहे थे. लेकिन एक नए सेंटर फॉर मेंटल वेलनेस तैयार कर इसमें कुशल मनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिक नियुक्त किए जाएंगे. जो फुल टाइम यहां रहने वाले स्टूडेंट्स पर ध्यान दे सकेंगे. अगर किसी छात्र की एक्टिविटी अलग महसूस होती है या स्टूडेंट गुमसुम रहता है या अपने सहपाठियों से दूरी बनता है तो ये सेंटर उसकी इस हरकत को लेकर काम करेगा.


इस नए वेलनेस सेंटर को लेकर आईआईटी कानपुर के निदेशक मनिंद्र अग्रवाल ने बताया कि कभी बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर होता है, कभी परिवार की जिम्मेदारियों का ,भविष्य में कुछ बनने की होड़ होती है. स्टूडेंट्स के मन में इस बात का भी सवाल रहता है कि यहां पढ़ाई करने के बाद अगर वो कुछ नहीं बन पाए या पास नहीं हुए, नंबर कम आए तो क्या करेंगे?



इस फैसले से सुधार की उम्मीद- कॉलेज प्रशासन
ऐसी ही बहुत सी बातों को लेकर अक्सर बच्चे परेशान रहते हैं और अंदर ही अंदर घुटते हैं. बच्चों के अंदर से इन्हीं सब हिचक, परेशानी और टेंशन को दूर कर हम खुदकुशी जैसी घटनाओं को रोक सकते हैं और उसके ग्राफ को कम कर सकते हैं. इस वेलनेस सेंटर में कुशल और जानकार मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक बच्चों से संवाद कर उनके अंदर की बात को निकालकर उसका समाधान बताएंगे. जिससे बच्चों का मन खुदकुशी करने जैसे विचारों से खाली होगा और घटनाओं का ग्राफ भी कम होगा.


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