उत्तर प्रदेश के कानपुर में पारिवारिक न्यायालय में एक बेहद भावुक दृश्य देखने को मिला. यहां एक दम्पत्ति के बीच विवाद चल रहा है. जिसमें पत्नी ने गुजारे-भत्ते के लिए परिवाद दाखिल कर रखा है. लेकिन पति न आर्थिक और न शारीरिक रूप से इसमें सक्षम है. क्यूंकि बीते पांच वर्षों से वह लकवाग्रस्त है. इसे साबित करने के लिए पति के परिजन उसे स्ट्रेचर समेत कोर्ट के सामने ले गए तो सब हैरान रह गए. अदालत ने अब अगली तारीख पर सुनवाई के आदेश दिए हैं.
पति पक्ष का आरोप है कि पत्नी शादी के एक महीने बाद से अलग है. पति पूरी तरह अपने परिवार पर निर्भर है, लेकिन उसके बावजूद वह गुजारे-भत्ते के लिए दबाब बना रही है. उसने यह दावा किया था कि पति पूरी तरह स्वस्थ है और कोर्ट में न आना पड़े इसलिए झूठ बोल रहा है. इसलिए ही परिवार स्ट्रेचर समेत उसे कोर्ट के समक्ष लाए.
क्या है पूरा मामला ?
पिछले पांच वर्षों से पक्षाघात से पीड़ित एक युवक को परिजन स्ट्रेचर पर अस्पताल से सीधे अदालत लेकर पहुंचे. आरोप है कि उसकी पत्नी ने गुजारा भत्ते के लिए दावा करते समय अदालत में यह कहा था कि पति पूरी तरह स्वस्थ है और भत्ता देने से बचने के लिए बीमारी का बहाना बना रहा है. पत्नी ने CrPC की धारा 125 के तहत भरण-पोषण की मांग की थी.
पति के परिवार और अधिवक्ता विनोद पाल का कहना है कि पत्नी के दावों का खंडन करने के लिए मेडिकल रिपोर्ट और फोटोग्राफ्स सहित युवक को स्ट्रेचर पर पेश किया गया, ताकि अदालत वास्तविक स्थिति जान सके .युवक को विवाह के लगभग एक महीने बाद पत्नी छोड़कर चली गई थी.
युवक पांच से साल से बीमार चल रहा
परिजनों का आरोप है कि पिछले पांच साल से युवक का इलाज चल रहा है और वह पूरी तरह परिवार पर निर्भर है. उसे ब्रेन हेमरेज के बाद लकवा मार गया. जबकि पत्नी आर्थिक सहायता मांगकर झूठे आरोप लगा रही है. अदालत ने दस्तावेजों को गंभीरता से लिया है और अगली सुनवाई के निर्देश दिए हैं.
यह मामला गुजारा भत्ते के मामलों में दुरुपयोग और नैतिकता पर सवाल खड़े करता है, साथ ही न्यायिक प्रक्रिया में सच्चाई सामने लाने की चुनौती को उजागर करता है.