UP News: कानपुर (Kanpur) में इन दिनों भारी गैस की खूब चर्चा हो रही है. सीएनजी (CNG) स्टेशन पर गैस भरवाने पहुंच रहे वाहन चालकों के बीच "भारी गैस आ रही है" का नोटिस कन्फ्यूजन का भी कारण बना हुआ है. ऑटो चालक, टेंपो चालक और सीएनजी गैस भरवाने पहुंच रहे लोग इससे परेशान हैं. तो वहीं CUGL कह रहा है कि इसमें परेशानी की कोई बात नहीं, भारी गैस का मतलब ग्राहकों का फायदा है. भारी गैस की पहेली को सुलझाती एबीपी गंगा की इस खास रिपोर्ट को देखिए.

"गैस भारी आ रही है"कानपुर के सीएनजी पेट्रोल पंपों पर जो भी वाहन चालक गैस भरवाने पहुंच रहा है वो चक्कर में पड़ जा रहा है. सीएनजी फिलिंग स्टेशन में ऑटो चालक, टेंपो चालक और कार चालक जब सीएनजी भरवाने पहुंच रहे हैं तो महानगर के सभी 47 स्टेशनों पर यही नोटिस चस्पा मिल रहा है. इसे पढ़कर सभी भारी कन्फ्यूजन में हैं. कन्फ्यूजन सिर्फ नोटिस का होता तो भी ठीक था लेकिन अब दूसरा कन्फ्यूजन ये है कि अबतक जिस 10 किलो वाले सीएनजी सिलेंडर में आठ किलो तक गैस भरी जाती रही. अब उसमें नौ किलो तक गैस भर रही है और उन्हें ज्यादा पैसे भी चुकाने पड़ रहे हैं. जिस ऑटो को चालक 200 रुपए में फुल करवा लेते थे उसमें अब उन्हें 300 रुपए तक खर्च करने पड़ रहे हैं.

परेशान है चालकऑटो टेंपो चालकों का कहना है कि ज्यादा कीमत चुकाने पर भी वो ना तो ज्यादा माइलेज पा रहे हैं और न ही उन्हें ज्यादा किराया मिल रहा है. जिसके चलते वो काफी परेशान हो रहे हैं. गैस भारी है कि पहेली और अब सिलेंडर में ज्यादा गैस भरे जाने के सवाल का जवाब जानना बेहद जरूरी था. इसलिए टीम कानपुर के लखनपुर स्थित CUGL के दफ्तर पहुंची. यहां जब टीम ने CUGL के एमडी से इसपर सवाल दागा तो उन्होंने सवाल का जवाब बहुत तसल्ली से दिया.

क्या मिला जवाबउन्होंने बताया दरअसल गैस भारी है का मतलब यह है कि इसकी डेंसिटी ज्यादा आ रही है. उसका रीजन यह है कि यह गैस, गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड यानी गेल से आ रही है. इस गैस में प्रोपेन एथेन मीथेन सभी हाइड्रोकार्बन होते हैं. लेकिन पहले गैस प्रोपेन, ईथेन और ब्यूटेन निकाल लिया जाता था. लेकिन फिलहाल यूएन प्लांट में शट डाउन चल रहा है. जिसके चलते हाइड्रोकार्बन गैस में मिले हुए आ रहे हैं. पहले जो सीएनजी आ रही थी उसे लीन गैस कहा जाता है. लीन गैस का मतलब उस गैस में केवल और केवल मिथेन कंटेंट्स रहता है, जो 98 फीसदी तक मीथेन होता है. लेकिन अभी इनमें एथेन, मीथेन, प्रोपेन और ब्यूटेन सभी मिलकर आ रहे हैं, जिससे उसका घनत्व बढ़ गया है. इन दोनों के बढ़ने के चलते ही आम आदमी की भाषा में इसे गैस भारी आना कहते हैं. गैस भारी होने से सिलेंडर की उतनी ही क्षमता में ज्यादा गैस भर जाती है.

आम आदमी को होगा फायदाउन्होंने बताया कि अगर लीन गैस होती है तो सिलेंडर की कैपेसिटी से दो किलो गैस कम भरती है. लेकिन अगर भारी गैस आ रही है तो 10 किलो के सिलेंडर में नौ किलो तक गैस भरी जा सकती है. इसीलिए सीयूजीएल की आमदनी बढ़ गई है. जानकर इससे आम आदमी को कोई नुकसान नहीं बता रहे हैं. उनका मानना है कि आम आदमी को इससे एक भी पैसे का नुकसान नहीं हो सकता, ज्यादा गैस आने से बार-बार रिफ्यूल नहीं करना पड़ेगा. ज्यादा गैस भरने से वाहन चालकों को ज्यादा माइलेज मिलेगा इसका सीधा अर्थ यही है. ज्यादा सीएनजी से ज्यादा गाड़ी चलेगी, कानपुर वासियों को इससे कोई घाटा नहीं बल्कि फायदा ही है.

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