Joshimath News: उत्तराखंड के जोशीमठ (Joshimath) के आपदा प्रभावित परिवारों का पुनर्वास और विस्थापन करना राज्य सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है. करीब एक महीना बीत जाने के बाद आपदा प्रभावित परिवारों को सरकार की ओर से लिए जाने वाले निर्णय का इंतजार है. कल दिल्ली में एनडीएमए की महत्वपूर्ण बैठक हुई. इसमें केंद्र सरकार के स्तर पर अप्रैल में शुरू होने वाली चारधाम यात्रा से पहले ही जोशीमठ के प्रभावित को विस्थापित करने की योजनाएं बनाई जा रही है. इसके लिए युद्ध स्तर पर तैयारियां की जाएगी. जोशीमठ भू-धंसाव के मामले में केंद्रीय गृह सचिव ने एनडीएमए के अफसरों समेत आठ तकनीकी संस्थाओं के विशेषज्ञों के साथ वर्चुअल बैठक भी की. बैठक में चारधाम यात्रा से पहले प्रभावितों को विस्थापित करने पर जोर दिया गया. 

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वहीं आगामी अप्रैल महीने में उत्तराखंड में चारधाम यात्रा की शुरुआत हो जाएगी, लेकिन चारधाम यात्रा के संचालन से पहले जोशीमठ के आपदा प्रभावित परिवारों का विस्थापन करना सरकार के सामने चिंता का विषय बना हुआ है. एक तरफ जहां जोशीमठ में अध्ययन कर रही आठ एजेंसियों की रिपोर्ट सामने नहीं आई है. वहीं दूसरी तरफ आपदा प्रभावित परिवार सरकार की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं कि आखिरकार सरकार उनके लिए क्या निर्णय लेती है. इसके साथ ही जोशीमठ में अध्ययन कर रही केंद्रीय एजेंसियों को लेकर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि जो एजेंसी काम कर रही है उनको काम करने दिया जाए. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आगे कहा कि एजेंसियों के द्वारा किए जा रहे अध्ययन में कोई जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए. 

दूरगामी परिणाम पर सरकार ध्यान देहालांकि जोशीमठ के आपदा प्रभावित परिवारों के सामने दिक्कत है, लेकिन आने वाले समय में दूरगामी परिणाम हो सरकार को इस तरफ भी ध्यान देना चाहिए. वहीं सीएम धामी ने जोशीमठ भू-धंसाव की स्थिति के बारे में बताते हुए कहा कि दो जनवरी के आसपास कुछ मकानों में दरारें आई थीं. सब मिलाकर ये मकान 700 से ज्यादा हैं, जिनमें दरारें आंशिक रूप से आई हैं, कुछ में ज्यादा आई हैं लेकिन 270 ऐसे परिवार थे जो लगता था कि ज्यादा खतरे की जद में हैं. उनमें रहने वाले एक हजार के करीब लोगों को हमने तत्काल दूसरे स्थानों पर गेस्ट हाउस या सरकारी कार्यालयों और होटलों आदि जगहों पर शिफ्ट किया.

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सीएम धामी ने कहा, ''एक जगह पर टनल से पानी का रिसाव हो रहा था, जो लगभग 560 LPM (लीटर प्रति मिनट) था लेकिन अब वो आज घटकर काफी कम हो गया है, 100 से भी नीचे आ गया है. उसके बाद स्थिति अभी जैसी थी वैसी है.''

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