Petition Against Jitendra Narayan Tyagi: इस्लाम धर्म छोड़कर जितेंद्र नारायण त्यागी (Jitendra Narayan Tyagi) बन चुके यूपी शिया वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी (Wasim Rizvi) की मुश्किलें आने वाले दिनों में और बढ़ सकती हैं. वसीम रिज़वी भड़काऊ भाषण के मामले में इन दिनों हरिद्वार (Haridwar) की जेल में बंद हैं. लेकिन वह आसानी से जेल से बाहर न आ सकें इसके लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Allahabad High Court) में एक पीआईएल दाखिल की गई है. इस पीआईएल के तहत उनके खिलाफ प्रयागराज (Prayagraj) समेत बाकी जगहों पर पहले से ही दर्ज मुकदमों में भी ज्यूडिशियल रिमांड पर लिए जाने का आदेश देने की गुहार लगाई गई है.


जनहित याचिका में क्या कहा गया


जितेन्द्र नारायण त्यागी के खिलाफ जो पीआईएल दायर की गई है उसमें पहले से दर्ज मामलों पर ज्यूडिशियल रिमांड पर लेने के आदेश दिए जाने के साथ सरकारी मेहरबानी के चलते पुराने मुकदमों में गिरफ्तारी नहीं किये जाने पर भी सवाल उठाए गए हैं. यही नहीं पूरे मामले में अफसरों की मिलीभगत की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई किये जाने की भी मांग की गई है. और वसीम रिज़वी के शिया वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन रहते हुए प्रयागराज के बहादुरगंज इलाके में स्थित इमामबाड़े की बिल्डिंग को ज़मीदोज़ कर उस पर कामर्शियल काम्प्लेक्स बनाए जाने के मामले में भी फिर से इमामबाड़े की इमारत को बनवाए जाने की अपील की गई है.  


जितेन्द्र नारायण त्यागी पर कार्रवाई की मांग


जितेन्द्र नारायण त्यागी के खिलाफ ये पीआईएल प्रयागराज के सोशल एक्टिविस्ट शौकत भारती ने दाखिल की है. इसमें कहा गया है कि वसीम रिज़वी के खिलाफ प्रयागराज में दर्ज मुक़दमे में यूपी के राजभवन और सरकार ने केस चलाए जाने की मंजूरी तकरीबन दो साल पहले ही दे दी थी. गंभीर धाराओं में केस दर्ज होने के बावजूद अफसरों ने उनकी गिरफ्तारी नहीं की. प्रयागराज के अलावा भी उन पर कई और जगहों पर आपराधिक मुकदमें दर्ज थे जिनमें कोई कार्रवाई नहीं हुई है. अगर इन मामलों में वसीम रिज़वी की गिरफ्तारी हो गई होती तो वो हरिद्वार में धार्मिक आधार पर भड़काऊ भाषण देते हुए देश का माहौल बिगाड़ कर आंतरिक सुरक्षा से खिलवाड़ कतई नहीं कर सकता थे. 


शुक्रवार को हो सकती है सुनवाई

पीआईएल में कहा गया है कि वसीम रिज़वी उर्फ़ जितेंद्र त्यागी भड़काऊ भाषण मामले में जमानत पर जेल से बाहर आकर समाज का माहौल फ़िर न बिगाड़ सके, इसलिए पुराने मुकदमों में भी उसका ज्यूडिशियल रिमांड लिया जाए, ताकि वह जेल से बाहर न आ सके. शौकत भारती की पीआईएल दाख़िल करने वाली वकील सहर नक़वी का कहना है कि इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई हो सकती है. उनके मुताबिक हाईकोर्ट अगर इस मामले में दखल देता है तो वसीम रिज़वी के बड़े नेटवर्क का खुलासा हो सकता है.

याचिकाकर्ता ने की सुरक्षा बढ़ाने की मांग


इसके साथ ही याचिकाकर्ता शौकत भारती ने चिट्ठी लिखकर अपनी सुरक्षा बढ़ाए जाने की मांग की है. उनका कहना है कि वसीम रिज़वी के कारनामों को उजागर करने की वजह से वह तमाम लोगों के निशाने पर आ गए हैं, इसलिए उन्हें पर्याप्त सुरक्षा दी जानी चाहिए. इस पीआईएल के बाद कहा जा सकता है कि हरिद्वार की धर्म संसद में भड़काऊ भाषण देने के मामले में बाकी आरोपियों को भले ही राहत मिल जाए, लेकिन जितेन्द्र त्यागी की मुश्किलें बढ़नी तय हैं.