महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नितेश राणे के मदरसों को लेकर दिए आपत्तिजनक बयान पर जमीयत उलेमा ए हिन्द भड़क गई है. जमीयत उलेमा ए हिन्द यूपी के कानूनी सलाहकार मौलाना काब रशीदी ने कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे हुए मंत्री को संविधान और कानून की जानकारी नहीं है. ये वो लोग हैं जो एक समुदाय में आतंक पैदा कर लोगों को गुमराह करना चाहते हैं. 

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मौलाना काब रशीदी ने कहा कि ये मंत्री पद की गरिमा को धूमिल कर रहे हैं और ये इनकी नकारात्मक मानसिकता है जो समाज के अंदर नफरत फैलाना चाहती है. विवादित बयान देने का इनका लंबा इतिहास है, देश की जनता को तय करना चाहिए की गाँधी और आजाद के देश में भाषा का स्तर अगर इतना नीचे गिर जायेगा तो देश विश्व गुरु कैसे बनेगा. इनको ये नहीं पता की भारत की यूनिवर्सिटी ग्रांड कमीशन (UGC) मदरसे से पढ़े हुए मौलाना अबुल कलाम आजाद ने बनाई है और देश के जितने भी बड़े मजबूत शैक्षिक संस्थान हैं उन सब के पीछे देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ही हैं.

मदरसों में सभी भाषाएं पढ़ाई जाती हैं

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उन्होंने कहा कि ये मदरसों के योगदान को नहीं जानते हैं. भारत के संविधान ने देश के सभी नागरिकों को उनकी भाषा की स्वतंत्रता का अधिकार दिया है. मैं कौन सी भाषा बोलता हूँ ये मेरा अपना अधिकार है कोई राज्य या उसके कुछ नागरिक मुझे कौन सी भाषा बोलनी है इसके लिए मुझे मजबूर नहीं कर सकते हैं. मदरसों में तो सभी भाषाएं पढ़ाई जाती हैं. 

उद्धव ठाकरे और उनके भाई अब एक हो गये हैं

मौलाना ने कहा की ये नेता लोग मदरसों और मुसलमानों को बिना वजह बीच में लाकर अपनी कुर्सी बचाना चाहते हैं ताकि लोग असल मुद्दों को भूल कर धुर्वीकरण में लग जाएं. उद्धव ठाकरे और उनके भाई अब एक हो गये हैं, भाषा विवाद पर ये उन से तो बात कर नहीं सकते इसलिए चीजों में ट्विस्ट पैदा करने के लिए मदरसों और मुसलमानों को बीच में ले आते हैं.

मदरसों और मुसलमानों को बिना वजह निशाना बना रहे हैं   उत्तराखंड के बाद हरियाणा सरकार के स्कूलों में गीता के श्लोक प्रार्थना सभा में पढ़ाये जाने का उन्होंने विरोध करते हुए कहा की किसी को आप किसी दूसरे धर्म के श्लोक पढने के लिए मजबूर नहीं कर सकते. देश की शिक्षा नीति की बुनियाद सेकुलरवाद पर रखी गई है. स्कूलों में किसी धर्म विशेष की शिक्षा के लिए किसी को पाबंद करना उसकी धार्मिक आज़ादी का उल्लंघन है. जमीयत उलेमा ए हिन्द इसके खिलाफ है, संवैधानिक पद पर बैठे हुए लोग इतनी गिरी हुई भाषा बोल रहे हैं. मदरसों और मुसलमानों को ये बिना वजह निशाना बना रहे हैं. ये हर चुनाव में नफरत की राजनीति को बढ़ावा देकर अपनी भविष्य की राजनीति को सुरक्षित करना चाहते हैं. जमीयत उलेमा ए हिन्द इसकी निंदा करती है.