Jagadguru Rambhadracharya News: जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय में भारतीय न्याय सहिता 2023 पर गोष्ठी का आयोजन हुआ. इस गोष्ठी में विधान परिषद के सभा पति कुंवर मानवेन्द्र सिंह और पद्म विभूषण जगद्गुरु रामभादराचार्य सहित कई विधायक मौजूद रहे. गोष्ठी में नये कानून पर वक्ताओं ने अपने अपने  विचार रखें. 

पद्म विभूषण जगद्गुरु रामभद्राचार्य महराज ने भारतीय न्याय सहिंता पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि, मनु महाराज से लेकर ऋषियों तक जो परंपरा रही वह न्याय देने की परंपरा रही है. मनु को गाली देने वालों को क्या कहु? बहन कहने में संकोच लग रहा, मनु को गाली देने की शुरुवात मायावती ने की लेकिन मायावती को मनुस्मृति के बारे में  एक भी अक्षर का ज्ञान नहीं.

बाबा साहब को भी संस्कृत का झान नहीं था- जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराजजगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने कहा, बाबा साहब अम्बेडकर संस्कृत को ठीक ठाक जानते तो मनु स्मृति को जलाने का प्रयास नहीं करते, उन्हें भी संस्कृत का एक भी का भी ज्ञान नहीं था. मैं कह सकता हूं कि मनु स्मृति में एक अक्षर भी राष्ट्र निर्माण के विरोध में नहीं लिखा गया. महाभारत काल की न्याय प्रक्रिया अधूरी थी और रामायण काल की न्याय प्रक्रिया समग्र थी, भगवान श्रीराम ने भी मनु को आधार बनाकर न्याय किया.

भारत के संविधान में अभी तक करीब 129 बार संशोधन हो चुके

जगद्गुरु रामभद्राचार्य द्वारा मनुस्मृति पर दिया गया इस तरह का बयान कहीं न कहीं सियासी मुद्दा बन सकता है. जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलित करके की, इशके साथ ही उन्होंने भारतीय न्याय संहिता की अवधारणा रामायण काल से करने की बात कही. जगद्गुरु ने आगे कहा कि भारत के संविधान में अभी तक करीब 129 बार संशोधन हो चुके हैं, लेकिन न्याय व्यवस्था में अभी भी सुधार की आवश्यकता है.

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