उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा 2026 के लिए आवेदन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. इस बार कुल 2 लाख 16 हजार परीक्षार्थियों ने आवेदन किया है, जो 2025 की तुलना में लगभग समान है. बोर्ड अधिकारियों का कहना है कि आंकड़े भले स्थिर दिख रहे हों, लेकिन जिलावार स्थिति शिक्षा पर पड़ रहे सामाजिक–भौगोलिक प्रभावों को दर्शाती है. विशेषकर, मैदानी और पहाड़ी जिलों में विद्यार्थियों की संख्या के रुझान एक–दूसरे से बिल्कुल अलग दिशा में बढ़ रहे हैं.

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पिछले पांच वर्षों के परीक्षार्थियों के आंकड़े

परीक्षार्थियों के पिछले पांच साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2021 में 2 लाख 69 हजार छात्र परीक्षा में बैठे थे. 2022 में यह संख्या घटकर 2 लाख 39 हजार रह गई. 2023 में फिर थोड़ी बढ़त दर्ज हुई और संख्या 2 लाख 51 हजार पहुंची. लेकिन 2024 में बोर्ड परीक्षार्थियों की संख्या में सबसे अधिक गिरावट देखने को मिली, जब यह आंकड़ा घटकर 2 लाख 4 हजार पर आ गया. 2025 में मामूली सुधार के साथ 2 लाख 16 हजार छात्र शामिल हुए. 2026 के लिए भी आवेदन की संख्या करीब-करीब 2025 जितनी ही रही.

मैदानी और पहाड़ी जिलों में परीक्षार्थियों का रुझान

बोर्ड अधिकारियों के अनुसार, राज्य के मैदानी जिलों—विशेषकर उधमसिंहनगर और हरिद्वार—में छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इन क्षेत्रों में आबादी का तेजी से बढ़ना, प्रवासियों का बसना और बेहतर शैक्षिक सुविधाएं इसका प्रमुख कारण हैं. दूसरी ओर, पहाड़ी जिलों में लगातार पलायन, जनसंख्या में गिरावट और विद्यालयों के विलय जैसी परिस्थितियों का सीधा असर विद्यार्थी संख्या पर पड़ रहा है.

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आगामी रणनीति और परीक्षा तैयारियां

अधिकारियों का कहना है कि यदि यही रुझान जारी रहा, तो आगामी वर्षों में मैदानी जिलों में परीक्षा केंद्रों की संख्या और व्यवस्थाओं को और बढ़ाना होगा, जबकि पहाड़ी जिलों में स्कूलों को सशक्त बनाने और बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए विशेष रणनीति पर काम की आवश्यकता पड़ेगी. बोर्ड 2026 की परीक्षाओं की तैयारियों में जुट चुका है और जिलों के अनुसार केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है.