ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के लिए वर्ष 2025 कई मायनों में खास रहा है. सीईओ एन. जी. रवि कुमार के नेतृत्व में शहर को वह मिला, जिसकी मांग लोग पिछले एक दशक से कर रहे थे. चौड़ी और स्मूथ सड़कें, नए कमर्शियल प्रोजेक्ट, ट्रैफिक जाम में कमी और सबसे बड़ी बात-प्राधिकरण को कर्ज से उबार कर लगभग 1500 करोड़ रुपये की बैंक एफडी तक पहुंचाना. किसान चौक जैसे इलाकों में लगने वाले लंबे जाम अब लगभग खत्म हो चुके हैं. इन सबके बावजूद पांच ऐसे प्रोजेक्ट हैं, जिन पर जनता की नजरें आज भी टिकी हैं.

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ग्रेटर नोएडा वेस्ट की आबादी 2016 में करीब 5 लाख थी, जो अब 15 लाख के आसपास पहुंच चुकी है. इतनी बड़ी आबादी के बावजूद यहां आज तक एक आधुनिक स्थायी श्मशान घाट नहीं बन पाया. मजबूरी में लोगों को अंतिम संस्कार के लिए नोएडा या दिल्ली जाना पड़ता है. प्राधिकरण ने बिसरख में हरनंदी नदी के किनारे आधुनिक श्मशान घाट की योजना बनाई है, जिसमें 40 दाह संस्कार प्लेटफॉर्म, मंदिर, पार्किंग और अन्य सुविधाएं शामिल हैं. योजना कागजों में है लेकिन जमीन पर काम शुरू नहीं हो सका.

मेट्रो का इंतजार: वादे बहुत, सफर अब भी कार से

2017 से लेकर 2024 तक हर चुनाव में ग्रेटर नोएडा वेस्ट को मेट्रो से जोड़ने का वादा किया गया. आंदोलनों, बैठकों और बयानों के बावजूद 2025 के अंत में भी लगभग 1.2 लाख लोग रोज निजी वाहनों से सफर करने को मजबूर हैं. ई-बसों और लोकल ट्रांसपोर्ट को लेकर भी कोई साफ नीति नजर नहीं आती.

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तीन मुख्य सड़कों पर अतिक्रमण की मार

तोशा इंटरनेशनल, टी-सीरीज और टीपीएल जैसी कंपनियों से जुड़े भूमि विवादों के कारण तीन अहम सड़कें आज भी अधूरी हैं. तिलपता चौक के पास 200 मीटर का हिस्सा हो या नामोली गांव के पास 1.2 किलोमीटर सड़क-हर रोज करीब 50 हजार वाहन इन अधूरी सड़कों की परेशानी झेलते हैं.

कुलेसरा-सूरजपुर-दादरी रोड: एलिवेटेड रोड का सपना

यह इलाका रोज जाम, जलभराव और बदहाल सड़कों से जूझ रहा है. एलिवेटेड रोड की मांग सालों से उठ रही है लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति और अवैध कॉलोनियों के कारण काम आगे नहीं बढ़ सका. 2025 भी लोगों के लिए जाम में ही गुजर गया.

मनोरंजन और सांस्कृतिक स्थलों की भारी कमी

तेजी से बढ़ते रियल एस्टेट के बीच रामलीला मैदान, नोएडा हाट, वेस्ट ऑफ वंडर पार्क और हैबिटेट सेंटर जैसे स्थानों की भारी कमी है. सर्वे में 78 प्रतिशत लोगों ने ऐसी सुविधाओं की जरूरत बताई, लेकिन ठोस नीति के अभाव में ये सपने अधूरे हैं. 

आगे का रास्ता-

2025 ने ग्रेटर नोएडा को संतोष दिया, लेकिन उम्मीदें अभी बाकी हैं. 2026 में जनता चाहती है कि विकास सिर्फ सड़कों और इमारतों तक सीमित न रहे, बल्कि जीवन को आसान और सम्मानजनक बनाने वाले प्रोजेक्ट भी पूरे हों. यही इस शहर की अगली असली परीक्षा होगी.