प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में वाराणसी की जिला अदालत में चल रहे मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगा दी है। यह रोक 17 मार्च को होने वाली अगली सुनवाई तक जारी रहेगी। हाईकोर्ट ने इस मामले में दूसरे पक्षकार को नोटिस जारी कर उससे तीन हफ्ते में जवाब तलब कर लिया है।


हाईकोर्ट ने डे-टू-डे बेसिस पर सुनवाई करने के वाराणसी की एडीजे कोर्ट के इसी साल के 4 फरवरी के आदेश को फौरी तौर पर गलत मानते हुए उसपर रोक लगाई है। मगलवार को मामले की सुनवाई जस्टिस अजय भनोट की सिंगल बेंच में हुई। हाईकोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद की इंतजामिया कमेटी ने अर्जी दाखिल की थी।



दरअसल साल 1991 में वाराणसी की जिला अदालत में एक अर्जी दाखिल कर यह आरोप लगाया गया कि बनारस शहर के चौक इलाके की ज्ञानवापी मस्जिद अवैध तरीके से बनी है। मस्जिद की जगह पहले मंदिर स्थापित था और मुगल बादशाह औरंगजेब ने अपने शासनकाल में मंदिर को गिराकर मस्जिद का निर्माण कराया था।


यह अर्जी एनशिएंट आइडल स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वर के मित्र के तौर पर वाराणसी के ही विजय शंकर रस्तोगी ने दाखिल की थी। यह अर्जी अयोध्या विवाद की तर्ज पर दाखिल की गई थी। ज्ञानवापी मस्जिद इंतजामिया कमेटी की तरफ से दो आधार पर इस अर्जी का विरोध किया गया। पहली दलील यह दी गई कि 1991 के धार्मिक स्थलों पर बने नए एक्ट के लागू होने के बाद इस तरह का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। दूसरी दलील यह दी गई कि देश की आज़ादी के वक्त के स्टेटस को बदलने के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल नहीं की जा सकती है।



वाराणसी की जिला अदालत ने इन दोनों दलीलों को नकारते हुए मुकदमा सुनने की मंजूरी दे दी। इस मामले में मस्जिद कमेटी ने साल 1998 में हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर निचली अदालत के केस सुनने के फैसले को चुनौती दी। हाईकोर्ट ने वाराणसी अदालत के फैसले पर रोक लगा दी, तब से अभी तक इस मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगी हुई थी। इस बीच सुप्रीम कोर्ट का एक सामान्य आदेश आया कि किसी मामले में अगर मुकदमे की कार्यवाही पर लगी रोक छह महीने से ज्यादा की हो जाती है और अदालत उसे आगे नहीं बढ़ाती है तो स्टे यानी रोक खत्म मानी जाएगी।


एनशिएंट आइडल स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वर की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले के आधार पर वाराणसी की एडीजे कोर्ट में फिर से अर्जी दाखिल की गई और सुनवाई शुरू किये जाने की अपील की गई। एडीजे कोर्ट ने इस मामले में अर्जी को मंजूर करते हुए सुनवाई शुरू करने और डे-ट-डे बेसिस पर मामले को सुनने का आदेश इसी साल 4 फरवरी को पारित किया गया।



निचली अदालत ने मस्जिद कीमती के एतराज को नकार दिया था। इस फैसले के खिलाफ मस्जिद कमेटी ने फिर से हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की। मामले की सुनवाई मंगलवार को जस्टिस अजय भनोट की बेंच में हुई। अदालत ने मस्जिद कमेटी के एतराज को फौरी तौर पर सही माना और निचली अदालत द्वारा सुनवाई किये जाने के फैसले पर रोक लगा दी। ज्ञानवापी मस्जिद वाराणसी के चौक इलाके में काशी विश्वनाथ मंदिर के नजदीक ही है। इसका विवाद भी अयोध्या की तरह ही काफी पुराना है।