UP News: चन्दौली के जिला संयुक्त अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बदहाल, मरीजों को नहीं मिल रही ये सुविधा
UP News: एक साल से अल्ट्रासाउंड कक्ष पर ताला पड़ा हुआ है, रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर नदारद हैं. जिससे मरीजों को अस्पताल से बाहर अल्ट्रासाउंड महंगे दामों पर करवाना पड़ रहा है.

UP News: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में दोबारा बीजेपी की सरकार बन गई है. लेकिन बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का दावा करने वाली योगी सरकार के राज में स्वास्थ्य महकमा सुधरने का नाम नहीं ले रहा है. सरकार द्वारा आम जनता के लिए दी जा रही सुविधाओं का खुलेआम मजाक बनाया जा रहा है.
पूर्व सीएम राजनाथ सिंह ने बनवाया था 100 बेड का जिला अस्पताल
चकिया के भभौरा गांव निवासी यूपी के पूर्व सीएम रहे और वर्तमान केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा बनवाए गए 100 बेड के जिला संयुक्त चिकित्सालय चकिया में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हैं. यहां एक साल से अल्ट्रासाउंड कक्ष पर ताला पड़ा हुआ है, रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर नदारद हैं. जिससे मरीजों को अस्पताल से बाहर अल्ट्रासाउंड महंगे दामों पर करवाना पड़ रहा है.
रेडियोलाजिस्ट का ट्रांसफर होने के से पद खाली पड़ा
वहीं अस्पताल के सीएमएस द्वारा रटा रटाया बयान देते हुए कहा, "उच्चाधिकारियों को पत्र के माध्यम से अवगत करा दिया गया. पिछले साल रेडियोलाजिस्ट का ट्रांसफर होने के बाद यहां पद खाली पड़ा है. इस संबंध में उच्च स्तर के अधिकारियों को लिखित सूचना दे दी गई है. जैसे ही रिक्त पदों की पूर्ति होगी मरीजों को सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी." जबकि इस महंगाई में अल्ट्रासाउंड की सुविधा के लिए मरीजों को बाहर प्राइवेट अल्ट्रासाउंड सेंटर का सहारा लेना पड़ रहा है और हज़ारों रुपये खर्च करने पर रहे हैं.
मजबूरन मरीज बाहर से करवा रहे अल्ट्रासाउंड
अस्पताल में लाखों रुपए खर्च कर अल्ट्रासाउंड की मशीन लगाई गई है. लेकिन बीते एक साल से जिला संयुक्त चिकित्सालय चकिया में डिजिटल एक्स-रे मशीन का कमरा खाली है. 2021 के मई महीने में रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर अनिल कुमार पांडे का दूसरे जिले में ट्रांसफर होने के बाद अल्ट्रासाउंड कक्ष में ताला लगा हुआ है. ओपीडी में बैठे डॉक्टर रोज मरीजों को अल्ट्रासाउंड कराने की पर्ची लिखते हैं. मगर मजबूरन मरीजों को बाहर से महंगे दामों पर अल्ट्रासाउंड कराना पड़ता है.
पत्नी के पेट में दर्द का इलाज कराने आए धीरज श्रीवास्तव ने बताया कि अल्ट्रासाउंड की मशीन तो है. लेकिन डॉक्टर ना रहने की वजह से जिला अस्पताल के बाहर गेट पर स्थित प्राइवेट पैथोलॉजी सेंटर से अल्ट्रासाउंड कराना महंगा पड़ा और इसमें हजारों रुपये लग गए.
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