Hathras Satsang Stampede: हाथरस में सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के सत्संग कार्यक्रम में भगदड़ के बाद हुई दर्दनाक घटना को लेकर यूपी के डीजीपी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि जहां भी ऐसे बड़े आयोजन होते हैं उसका परमिशन कई तरह की नियम और शर्तों के आधार पर दिया जाता है, जिसके अनुपालन की जिम्मेदारी आयोजक की होती है, जबकि सुरक्षा व्यवस्था और अन्य व्यवस्था की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन की होती है.

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यह बयान डीजीपी प्रशांत कुमार इस सवाल के जवाब में दिया कि अयोध्या में भी आए दिन इस तरह के कार्यक्रम होते रहते है, हालांकि उन्होंने इसके साथ यह भी कहा कि अयोध्या में क्राउड कंट्रोल को लेकर अधिकारियों से चर्चा हई है लेकिन जितने भी कार्यक्रम अयोध्या में हुए हैं वह सब सकुशल संपन्न हुए है. वह कावड़ मेला की व्यवस्था की समीक्षा के लिए अयोध्या पहुंचे थे. 

स्थानीय प्रशासन पर उठे सवाल 

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हाथरस मामले में हुई भगदड़ के कारणो की भी जांच हो रही है. जांच के दायरे में आयोजकों से लेकर भोले बाबा के सेवादार और खुद बाबा भी हैं. तो साथ ही स्थानीय प्रशासन की भूमिका को लेकर भी सवाल खड़े हुए हैं. ऐसे में यूपी के डीजीपी के इस बयान के बड़े मायने हैं. एक तो यह कि आयोजक परमीशन से अधिक भीड़ जुटाने समेत तमाम उन नियम शर्तों के उल्लंघन के दोषी हैं तो स्थानीय पुलिस प्रशासन भी क्लीन चिट के दायरे में नहीं है. 

''अनुपालन कराने की जिम्मेदारी आयोजकों की''

प्रशांत कुमार ने कहा कि ये जो आयोजन होते हैं, जहां बड़े आयोजन होते हैं वहां बहुत सारी जिम्मेदारी जो आयोजक होते हैं उनकी भी होती है. क्योंकि उसमें जो परमिशन दी जाती है उसमें बहुत तरह के टर्म एंड कंडीशन होते है. उसके अनुपालन कराने की जिम्मेदारी आयोजकों की होती है. वहां सुरक्षा व्यवस्था और अन्य व्यवस्थाएं करने की जिम्मेदारी प्रशासन की होती है. तो मुझे नहीं लगता है कि अभी कोई इस तरह से आयोजन यहां (अयोध्या) में होना है, जो लोग हमारे श्रद्धालु आएंगे उनको लेकर किस तरह से क्राउड कंट्रोल करना है इसके बारे में भी हम लोगों ने यहां चर्चा किया है और यहां पर पहले से ही आपने देखा होगा बड़े-बड़े आयोजन यहां होते हैं और सभी सकुशल तरीके से संपन्न कराए जाते हैं.

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