Hathras Murder Case: हाथरस की बेटी के साथ हुए जघन्य अपराध मामले पर मीडिया को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता डॉली शर्मा ने कहा कि इस मामले मे कांग्रेस (Congress) पार्टी द्वारा लगातार आवाज उठाई गई थी. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और उत्तर प्रदेश प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी द्वारा लगातार पीड़ित परिवार के न्याय के लिए गुहार लगाई गई थी. सबसे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि दलित परिवार की एक नाबालिग बेटी के साथ गैंगरेप कर उसकी नृशंस हत्या की गई. सिर्फ पुलिस की कमजोर जांच की वजह से अभियोजन पक्ष अदालत में आरोप साबित नहीं कर पाया. 


डॉली शर्मा ने आरोप लगाते हुए आगे कहा, "शुरू से ही इस मामले को दबाने के लिए उत्तर प्रदेश की भाजपा इकाई द्वारा पुलिस और प्रशासन का कितना दुरुपयोग किया गया, ये आप सभी को ज्ञात है. आप में से मीडिया के कई साथी उस वक्त हाथरस में मौजूद थे. एक तरह से पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया था. पीड़िता के घर पर पुलिस और प्रशासन का भारी जमावड़ा था. किसी से बात नहीं करने दी जा रही थी. हमारे नेता राहुल गांधी और प्रियंका को हाथरस जाने से रोका गया था. मीडिया के साथियों तक को वहां से खदेड़ने की कोशिशें हुई थीं."


डॉली शर्मा ने लगाए गंभीर आरोप
कांग्रेस नेता ने कहा कि मामला उजागर होने के साथ ही आरोपियों को बचाने और इस मामले को दबाने के लिए सरकारी तंत्र इसको एक 'षड्यंत्र' का रूप देने में जुटा हुआ था. यहा तक कहा गया कि सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने और दंगा कराने की साजिशें हो रही हैं. इसी तरह के आरोपों में कई लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और गिरफ्तारियां तक हुईं. हाथरस के तत्कालीन डीएम को परिवार पर दबाव बनाते हुए वीडियो में पूरे देश ने देखा. एक तरह से पूरी सरकारी व्यवस्था भाजपा के इशारों पर पीड़ित परिवार को प्रताड़ित करने और आरोपियों को बचाने में लगी थी.


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डॉली शर्मा ने दावा करते हुए कहा कि सबसे ज्यादा दुखद बात यह है कि पीड़ित लड़की का आखरी बयान, जिसे कानूनी भाषा में 'डाइंग डिक्लेरेशन' कहते हैं, जिसमें उसने उसके आरोपियों के नाम स्पष्टता से लिए थे और उस वीडियो को भी पूरे देश ने देखा था. इतना ही नहीं, सीबीआई का आरोपपत्र भी लड़की के साथ गैंगरेप होने की बात साफ तौर पर कर रहा था. इतना सब होने के बावजूद आखिर में रेप का आरोप सिद्ध ना होना, चार में से तीन आरोपियों का बरी हो जाना हमारे उस आरोप को फिर एक बार सिद्ध करता है कि पुलिस और प्रशासन ने शुरुआती जांच में गंभीर लापरवाही से काम किया, साक्ष्यों और सबूतों से खिलवाड़ हुआ, हर तरह से दबाव बनाया गया और माननीय न्यायालय के सामने एक ऐसा कमजोर अभियोजन पेश किया गया, जिससे आरोपियों को लाभ हो और पीड़ित को न्याय ना मिले.