Haridwar News: जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर और डासना देवी मंदिर के पीठाधीश्वर यति नरसिहानन्द गिरि अपने मित्र जितेंद्र नारायण त्यागी के इंतजार में सर्वानन्द घाट पर बैठे हैं और उनके जेल से छूटने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. यति का कहना है कि उनका ना कोई प्रदर्शन है और ना ही विरोध है. वे केवल अपने दोस्त की प्रतीक्षा कर रहे हैं. जैसे ही जितेंद्र नारायण सिंह जेल से आएंगे, वे उनको लेकर चले जायेंगे. उन्होंने कहा कि जितेंद्र नारायण के साथ बहुत अन्याय हुआ है. पहली बार किसी बुद्धिजीवी सैय्यद ने सनातन धर्म में परिवर्तन किया. 


यति नरसिंहानंद का कहना है कि हमारा प्रशासन से कोई लेना-देना नहीं है. हम अपने भाई का इंतजार कर रहे हैं. जैसे ही जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी छूट कर आ जाएंगे जमानत पर, हम लोग यहां से उनको लेकर चले जाएंगे. हमारा कोई धरना नहीं है. हमारा कोई प्रदर्शन नहीं है. हम केवल अपने भाई का इंतजार कर रहे हैं. हमें लगता है कि उनके साथ बहुत अन्याय हुआ है. उन्हें अकेला छोड़ना ठीक नहीं है. उनका मनोबल टूटा हुआ है. जेल के अंदर उनकी हत्या करने का मारने का प्रयास हो रहा है. लगातार जेल प्रशासन बहुत सख्ती से उनको बचाए हुए हैं वरना अभी तक उनकी हत्या हो गई होती. ऐसे में उनको छोड़कर जाने का मन नहीं है मेरा, जैसे ही वे जमानत पर रिहा होंगे हम उन्हें लेकर चले जाएंगे.


यति नरसिंहानंद ने कही ये बड़ी बात


यति नरसिंहानंद ने कहा कि उनकी जमानत के लिए 21 तारीख हाईकोर्ट में डेट दी गई है. हाईकोर्ट क्या करता है यह तो हाईकोर्ट जाने कोर्ट का मामला है. हम तो कुछ कह नहीं सकते लेकिन अन्याय बहुत हुआ है. उनके साथ बहुत अन्याय हुआ है. उन्होंने कुछ भी गलत नहीं बोला. केवल जिहादियों के दबाव में जो भीड़ यहां पर इकठ्ठा हुई, जिस भीड़ ने हमारी और उनकी हत्या का ऐलान किया, उस भीड़ पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया और हमें जेल भेज दिया गया. जेल में भी ऐसा ढुसा गया कि जिन धाराओं में दरोगा को थाने में जमानत दे देनी चाहिए थी उस पर हाईकोर्ट में जाना पड़ रहा है. हाईकोर्ट भी जमानत देने में इतना समय लगा रहा है. यह अन्याय क्यों हो रहा है? कैसे हो रहा है? क्या कारण है? समझ में नहीं आ रहा है. जो भी मामला है, उसमें 21 तारीख को सुनवाई है. अब देखते हैं क्या होता है. मैं कोर्ट के बारे में ज्यादा नहीं जानता लेकिन मुझे बताया गया है कि 21 तारीख को सुनवाई है हम लोग उनकी रिहाई का इंतजार कर रहे हैं.


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