Hapur News: दीप पर्व दीपावली (Diwali 2022) नजदीक आ चुका है. ऐसे में दूसरों के घरों को रोशन करने के साथ ही अपने घर भी खुशियां लाने की उम्मीदों पर कुम्हारों का चाक घूम रहा है. हापुड़ में दीयों के बाजार भी सज चुके हैं. चाइनीज सामानों का बहिष्कार इन कुम्हारों की उम्मीदें और बढ़ा रहा है. पिछले दो सालों से कोविड संक्रमण के दौरान दीपावली का त्योहार फीका रहा है लेकिन इस वर्ष दीपावली 24 अक्टूबर को धूमधाम से  मनाई जाएगी. 

घरों को रोशन करने की परंपरा सदियों पुरानीदीप पर्व पर मिट्टी के दीयों से घर को रोशन करने की परंपरा सदियों पुरानी है. इसका अपना महत्व भी है. ऐसे में दीपावली के नजदीक आते ही कुम्हार दिन रात दीये बनाने के काम में तेजी से जुटे हुए हैं. उन्हें उम्मीद है कि इस बार उनकी दिवाली भी रोशन रहेगी. मिट्टी के दीपक, मटकी आदि बनाने के लिए माता-पिता के साथ उनके बच्चे भी हाथ बंटा रहे हैं. कोई मिट्टी गूंथने में लगा है तो किसी के हाथ चाक पर मिट्टी के बर्तनों को आकार दे रहे हैं.

हालांकि पिछले कुछ समय में आधुनिकता के इस दौर में दीयों का स्थान बिजली के झालरों ने ले लिया है. ऐसे में कुम्हारों के सामने आजीविका का संकट गहरा गया है.चाइनीज झालरों ने इन कुम्हारों को और चोट पहुंचाई. इस कारण वर्ष भर इस त्योहार की प्रतीक्षा करने वाले कुम्हारों की दिवाली अब पहले की तरह रोशन नहीं रही. मगर पिछले कुछ वर्षों से स्वदेशी निर्मित उत्पादों के प्रयोग को लेकर कई स्वयंसेवी संगठन खड़े हुए हैं.

लगाई जा रही ये उम्मीदमिट्टी के इस कारोबार से जुड़े लोग बता रहे हैं कि दीपावली दीयों का त्योहार है, इसी उम्मीद के साथ उनकी चाक का पहिया घूमने लगा है. उम्मीद है कि इस बार मिट्टी के दीए ज्यादा बिकेंगे. इससे उनकी दीपावली भी पहले से बेहतर रहेगी. मिट्टी के दिए का कारोबार करने वाले भूपेंद्र का कहना है कि दीपावली में दिए काफी बिकने की उम्मीद है और बिक भी रहे हैं, लेकिन हमारा नुकसान भी बहुत हो रहा है, बारिश की वजह से ज्यादा नुकसान हुआ है.

यह भी पढ़ें:-

Uttarakhand News: बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर के कपाट 25 अक्टूबर को रहेंगे बंद, ये है वजह