Hapur News: उत्तर प्रदेश के हापुड़ में निर्दोष छात्र को ड्रग्स तस्करी के मामले में फंसाने को लेकर न्यायालय द्वारा दरोगा सहित सात पुलिसकर्मियों को दोषी करार देने का मामला सामने आया है. हापुड़ में ड्रग्स तस्करी करने के मामले में पॉलिटेक्निक के छात्र को फंसाने वाले दारोगा संजय  त्यागी व छह सिपाहियों को हापुड़ की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश छाया शर्मा ने आरोपी मानते हुए मुकदमा दर्ज करने के आदेश हापुड़ एसपी को जारी किए हैं. जबकि निर्दोष छात्र को न्यायाधीश ने 8 साल से अधिक समय तक चले सेशन ट्रायल के बाद बरी कर दिया है. आरोपी दरोगा संजय त्यागी वर्तमान में शामली जनपद के कोतवाली नगर में तैनात हैं.


हापुड़ की एसओजी टीम के दरोगा संजय त्यागी और उनके हमराह सिपाहियों ने कोतवाली पिलखुवा क्षेत्र से दो छात्रों को गिरफ्तार किया था. जिनके पास से पुलिस ने 500 ग्राम हेरोइन ड्रग्स भी बरामद की थी. इस मामले में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी. जांच के बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ 16 दिसंबर 2015 को आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया था. इस मुकदमे की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विशेष न्यायाधीश फार्स्ट ट्रैक कोर्ट द्वितीय में चल रही थी. 11 अप्रैल को दोनों पक्षों की दलीलें और गवाहों के आधार पर न्यायाधीश छाया शर्मा ने आरोपी गौरव त्यागी को दोषमुक्त कर दिया और  इसके साथ ही न्यायाधीश ने गौरव को गलत ढंग से हेरोइन के साथ गिरफ्तार करने वाले दारोगा संजय त्यागी और छह कांस्टेबल पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश पुलिस अधीक्षक हापुड़ को दिए हैं.


अभियुक्त छात्र पक्ष के अधिवक्ता भोपाल सिंह सिसोदिया ने बताया कि एक लड़का पढ़ने वाला छात्र था. जो मेरठ  के गांव कैथवाड़ी का रहने वाला है उसको पुलिस ने पिलखुआ से गिरफ्तारी दिखाकर मुखबिर की सूचना पर पकड़ना दर्शाया था. जबकि वह लड़का नीलकंठ इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मेरठ में पॉलिटेक्निक की पढ़ाई कर रहा था. वह अपने घर से 1 तारीख को पढ़ाई के लिए आया और वह पढ़ाई करके घर वापस नहीं पहुंचा. फिर उसके घर वालों ने तलाश की और तलाश करते करते थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज कराई. जब वह कई दिनों तक नहीं मिला तो अखबारों से पता चला कि उस लड़के को हापुड़ की SOG  पुलिस द्वारा झूठे मुकदमे में चालान कर दिया गया है और 4 दिनों तक गिरफ्तार रखने के बाद चालान किया गया था.


एडिशनल एसपी और एसपी को दिया आदेश


वहीं जब 4 दिन बाद चालान किया तो उसकी शिकायत मजिस्ट्रेट से की गई तो जज साहब ने शिकायत का संज्ञान लेते हुए एडिशनल एसपी और एसपी को आदेश दिया कि शिकायत की जांच कर आख्या दें. वहीं जांच आख्या उस के एडिशनल एसपी थे उन्होंने जांच आख्या में पुलिस वालों को ही दोषी पाया था. जिसके बाद दोषी पुलिसकर्मी पर कार्रवाई हुई और उस समय सभी दोषी पुलिसकर्मी सस्पेंड हुए और तभी से यह मामला न्यायालय में विचाराधीन चल रहा था.  


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