उत्तराखंड के हल्दूचौड़ क्षेत्र से मंगलवार देर रात एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जहां क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यवसाय दुम्का ट्रेडर्स के मालिक रमेश दुम्का और उनकी पत्नी कमला दुम्का ने मानसिक और आर्थिक दबाव के चलते अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. इस हादसे ने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया है. लोगों को भरोसा नहीं हो रहा कि मिलनसार स्वभाव और सम्मानित छवि वाले इस दंपती ने इतना भयावह कदम उठा लिया.

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स्थानीय लोगों के अनुसार, पिछले कुछ महीनों से दुम्का परिवार गहरे आर्थिक संकट में था. कारोबार में आई गिरावट, गलत वित्तीय फैसले और उधारी का बढ़ता बोझ परिवार को निरंतर तनाव में धकेल रहा था. बताया जा रहा है कि दुम्का दंपती ने स्थानीय लोगों, परिचितों और एक निजी बैंक से लाखों रुपये का कर्ज लिया हुआ था. ब्याज बढ़ने और किस्तें न चुका पाने की वजह से बैंक ने कुर्की की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. इसी बीच निजी उधारदाताओं का प्रतिदिन घर आकर दबाव बनाना तनाव को और बढ़ा रहा था.

पूरी सम्पत्ति कर्ज में डूबी थी

गांव वालों के अनुसार, कर्ज के बोझ तले दंपती की पूरी संपत्ति खतरे में पड़ चुकी थी. कई लोग दावा कर रहे हैं कि दुम्का परिवार अपनी जमीन-जायदाद बेचकर भी कर्ज नहीं चुका सकता था. आर्थिक संकट के साथ-साथ सामाजिक प्रतिष्ठा खोने का डर भी उन्हें अंदर ही अंदर तोड़ रहा था. बताया जा रहा है कि पिछले तीन-चार महीनों से तनाव अपने चरम पर था और इसी दौरान दंपती मानसिक रूप से बेहद कमजोर होते चले गए.

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आत्महत्या की पूर्व तैयारी थी

मंगलवार को दंपती ने दुकान के एक पुराने कर्मचारी को अपने घर बुलाया और दोनों कमरों के पंखे उतरवाने को कहा. कर्मचारी को यह निर्देश उस समय असामान्य नहीं लगे, लेकिन घटना के बाद परिजनों और स्थानीय लोगों को समझ आया कि यह आत्महत्या की पूर्व तैयारी थी. घटना से चार दिन पहले उन्होंने हल्द्वानी में रहने वाले अपने बेटे को भी फोन कर घर बुला लिया था.

कभी "दुम्का ट्रेडर्स" क्षेत्र में मेहनत और भरोसे की मिसाल माना जाता था. रमेश दुम्का के पिता ने सरकारी नौकरी के बाद वर्षों की मेहनत से इस कारोबार की नींव रखी थी. लेकिन वित्तीय कुप्रबंधन और लगातार बढ़ते कर्ज के चलते यह व्यवसाय धीरे-धीरे बिखरने लगा. रमेश दुम्का और उनकी पत्नी कमला दुम्का की सादगी, सौम्यता और समाज में अच्छे संबंधों के बावजूद आर्थिक संकट ने इस परिवार को अंततः टूटने पर मजबूर कर दिया.

अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब

दंपती की अंतिम यात्रा में उमड़े जनसैलाब ने यह साबित कर दिया कि समाज में उनकी कितनी इज्जत थी. लोगों में इस बात को लेकर गंभीर आक्रोश और दुख है कि इतने सम्मानित दंपती ने आखिरकार आत्महत्या जैसा कदम क्यों चुना. कई करीबी दुकानदारों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से दंपती बाजार में हर परिचित-अपरिचित से विशेष अपनत्व के साथ मिल रहे थे. बाद में लोगों को एहसास हुआ कि शायद यह उनकी अंतिम विदाई थी.

पुलिस ने शुरू की जांच

पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है. शुरुआती जांच में आर्थिक दबाव और मानसिक तनाव ही कारण माना जा रहा है, हालांकि पुलिस ने निजी सूदखोरों द्वारा दबाव बनाने की बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है. दंपती अपने पैतृक घर जाकर नई शुरुआत की सोच रहे थे, लेकिन हालात इस हद तक बिगड़ चुके थे कि वे खुद को बचा नहीं पाए.

यह घटना उस कठोर सच्चाई की याद दिलाती है कि आर्थिक संकट केवल जेब ही नहीं, जिंदगी तक छीन लेता है. समाज आज यह सवाल पूछ रहा है- क्या समय रहते मदद मिल पाती तो शायद दो जिंदगियां बच सकती थीं?