Swami Prasad Maurya on CM Yogi: ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के बयान पर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. मौर्य ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद है अगर ये मस्जिद नहीं होता तो ये मामला कोर्ट में जाता ही नहीं. ये मामला अभी विचाराधीन है. ऐसे में किसी भी जिम्मेदार नेता या मुख्यमंत्री को ये बात नहीं रखनी चाहिए. सीएम योगी देश के न्यायालय से बड़े नहीं है. उन्हें थोड़ा इंतजार करना चाहिए था. 

  


स्वामी प्रसाद मौर्य ने सीएम योगी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि ये मामला अभी विचााराधीन है. किसी भी जिम्मेदार नेता को, मुख्यमंत्री को, मामले के लंबित होने के दौरान ये बात नहीं रखनी चाहिए. ज्ञानवापी मस्जिद है, इसलिए ही ये मामला न्यायलय में गया है. अगर ऐसा नहीं होता तो ये मामला अदालत में जाता ही नहीं. जब तक न्यायालय का कोई निर्णय नहीं आ जाता तब तक ज्ञानवापी मस्जिद है. माननीय मुख्यमंत्री जी न्यायपालिका से बड़े नहीं हैं. थोडा इंतजार करना चाहिए. जब तक मामला लंबित है, सब कुछ उच्च न्यायालय के निर्णय पर छोड़ देना चाहिए. 


सीएम योगी ने कही थी ये बात


दरअसल, सीएम योगी आदित्यनाथ ने न्यूज एजेंसी एएनआई के पॉडकास्ट में बात करते हुए साफ कहा है कि अगर ज्ञानवापी का मस्जिद कहा जाएगा तो इस पर विवाद होगा. भगवान ने जिसे दृष्टि दी है वो देखे, त्रिशूल मस्जिद के अंदर क्या कर रहा है. ये हमने तो वहां नहीं रखा है. यहां पर ज्योर्तिलिंग है, देव प्रतिमाएं हैं पूरी दीवार चिल्ला चिल्ला कर क्या कह कह रही हैं? उन्होंने कहा कि ये प्रस्ताव तो मुस्लिम समाज के तरफ से आना चाहिए कि साहब ऐतिहासिक गलती हुई है और उस गलती के लिए हम समाधान चाहते हैं.


इससे पहले सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ज्ञानवापी के सर्वे पर सवाल उठा चुके हैं. उन्होंने कहा, अगर सर्वे हो रहा है तो सभी हिन्दू मंदिरों का होना चाहिए क्योंकि कई हिन्दू मंदिर बौद्ध मठों को तोड़कर बने हैं. उन्होंने दावा कि कि 8वीं शताब्दी तक बदरीनाथ धाम भी बौध मठ था, आदि शंकराचार्य ने उसे हिन्दू मंदिर बनाया. ऐसे में अगर किसी एक की बात चलेगी तो फिर सभी की बात चलेगी. हम गड़े मुर्दे उखाड़ना नहीं चाहते हैं.


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