UP News: उत्तर प्रदेश के वाराणसी (Varanasi) में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के विवाद (Gyanvapi Masjid Case) से जुड़ी पांच याचिकाओं पर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में सुनवाई हुई. सुनवाई में मुस्लिम पक्ष ने जस्टिस प्रकाश पाडिया (Prakash Padia) की सिंगल बेंच से केस वापस लेकर चीफ जस्टिस कोर्ट में सुनवाई किए जाने पर फिर आपत्ति जताई. मुस्लिम पक्ष के वकील फरमान नकवी ने आपत्ति से जुड़े डाक्यूमेंट्स और अर्जी कोर्ट में पेश की. मुस्लिम पक्ष की इस अर्जी पर कोर्ट ने अभी कोई फैसला नहीं लिया है.


चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की सिंगल बेंच मामले की सुनवाई कर रही है. 27 सितंबर के बाद कोर्ट इस मामले में फिर सुनवाई करेगा. ज्ञानवापी विवाद से जुड़ी पांच याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट एक साथ सुनवाई कर रहा है. इनमें से तीन याचिकाएं 1991 में वाराणसी की अदालत में दाखिल किए गए केस की पोषणीयता से जुड़ी हुई हैं. दो अर्जियां एएसआई के सर्वेक्षण आदेश के खिलाफ हैं.


हिंदू पक्ष की ओर से की गई है ये मांग


1991 के मुकदमे में विवादित परिसर हिंदुओं को सौंप जाने और वहां पूजा अर्चना की इजाजत दिए जाने की मांग की गई थी. यह मुकदमा 1991 में वाराणसी की अदालत में दाखिल किया गया था. हाईकोर्ट को मुख्य रूप से यही तय करना है कि वाराणसी की अदालत इस मुकदमे को सुन सकती है या नहीं. कोर्ट को यह तय करना है कि इन याचिकाओं पर आगे सुनवाई की जानी है या फैसला आना है.


मुस्लिम पक्ष ने पहले भी जता चुका ऐतराज


मुस्लिम पक्ष ने पहले भी तीन बार जजमेंट रिजर्व होने के बाद फिर से सुनवाई किए जाने के फैसले पर ऐतराज जताया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट के पुराने फैसले के आधार पर दोबारा सुनवाई नहीं किए जाने की दलील दी थी. मुस्लिम पक्ष की ओर से कहा गया था कि पिछले कई सालों में करीब 75 कार्य दिवसों पर इस मामले में सुनवाई हो चुकी है. ऐसे में अब इस मामले में फिर से सुनवाई नहीं की जा सकती. 


कोर्ट ने 25 जुलाई को फैसला रख लिया था सुरक्षित


वहीं हिंदू पक्ष की तरफ से भी कहा गया कि फैसला जल्दी आना चाहिए. हालांकि, हिंदू पक्ष ने दोबारा सुनवाई किए जाने पर के फैसले का विरोध नहीं किया था. इन पांचों अर्जियों पर सुनवाई के बाद जस्टिस प्रकाश पडिया ने 25 जुलाई को जजमेंट रिजर्व कर लिया था. उन्होंने 28 अगस्त को इस मामले में फैसला सुनाए जाने की तारीख तय थी. लेकिन, जस्टिस प्रकाश पडिया के तबादले के बाद इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की बेंच कर रही है. चीफ जस्टिस ने 28 अगस्त के आदेश में कहा था कि जस्टिस प्रकाश पाडिया की बेंच क्षेत्राधिकार नहीं होने के बावजूद इस मामले में सुनवाई कर रही थी.


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