ग्रेटर नोएडा स्थित गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय (जीबीयू) अब छात्रों और पेशेवरों को साइबर अपराध से निपटने की ट्रेनिंग देगा. देश और विदेश में तेजी से बढ़ते साइबर अपराध को देखते हुए विश्वविद्यालय ने एक आधुनिक साइबर सिक्योरिटी और फॉरेंसिक लैब तैयार की है. यहां न केवल छात्र बल्कि पुलिस, सेना और अन्य संस्थानों के लोग भी साइबर सुरक्षा से जुड़े कोर्स कर सकेंगे.

जीबीयू प्रशासन ने एक प्रतिष्ठित साइबर टेक कंपनी के सहयोग से यह अत्याधुनिक लैब स्थापित की है. इसमें भविष्य की तकनीक को ध्यान में रखते हुए छह माह से एक साल तक के डिप्लोमा कोर्स शुरू किए जा रहे हैं. फिलहाल 29 अलग-अलग कोर्सेज की रूपरेखा तैयार की गई है. साइबर अपराध की बारीकियों को सीखने और उससे बचाव के उपायों को जानने के लिए अभी तक सात छात्रों ने नामांकन भी करा लिया है.

कोर्सेस में छात्रों को दी जाएंगी ये अहम जानकारी

विश्वविद्यालय का कहना है कि इन कोर्सेज में छात्रों को साइबर फॉरेंसिक, डेटा प्रोटेक्शन, नेटवर्क सिक्योरिटी, एथिकल हैकिंग और डिजिटल इन्वेस्टिगेशन जैसी महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी जाएंगी. इससे न केवल छात्रों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे बल्कि समाज को साइबर अपराध से सुरक्षित करने में भी योगदान होगा.

ड्रोन और एआई की पढ़ाई की भी तैयारी

जीबीयू ने भविष्य की मांगों को देखते हुए ड्रोन टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर फॉरेंसिक जैसे क्षेत्रों में भी कोर्स शुरू करने की दिशा में कदम उठाए हैं. अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान समय में साइबर अपराध के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है, इसलिए इस तरह की शिक्षा आज की सबसे बड़ी जरूरत है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेंटर की स्थापना

विश्वविद्यालय परिसर में जल्द ही एक आधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सेंटर भी स्थापित किया जाएगा. शासन से हरी झंडी मिलने के बाद माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, एचसीएल जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों के साथ समझौता किया गया है. एआई सेंटर के लिए परिसर में सात कमरे चुने गए हैं, जहां 120 कंप्यूटर लैब और 10 से 15 एप्पल वर्कस्टेशन स्थापित किए जाएंगे. शासन से फंड मिलते ही इस परियोजना पर तेजी से काम शुरू हो जाएगा.

छात्रों और पेशेवरों के लिए बड़ा अवसर

जीबीयू के अधिकारियों का कहना है कि साइबर सुरक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े ये कदम न केवल छात्रों के लिए बल्कि पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के लिए भी उपयोगी साबित होंगे. इससे देश को साइबर अपराध के खिलाफ एक मजबूत सुरक्षा ढांचा मिलेगा और युवा पीढ़ी भविष्य की तकनीकों में निपुण बन सकेगी.