ग्रे.नोएडा, एबीपी गंगा। ग्रेटर नोएडा दिल्ली एनसीआर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो राजधानी दिल्ली से सटा हुआ है। आधिकारिक दृष्टि से ये उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले में आता है। नोएडा...जो एशिया के सबसे बड़े औद्योगिक उपनगरों में से एक है। यहां बड़े पैमाने पर व्यापारियों, अधिकारियों और राजनीतिज्ञों  के परिवार रहते हैं। यहां शैक्षणिक संस्थान के साथ- साथ, औद्योगिक ईकाई भी काफी संख्या में है। हालांकि, राजधानी दिल्ली से सटे होने के बावजूद ग्रेटर नोएडा पार्किंग, जाम, समेत कई सारी सामाजिक समस्याओं से घिरा हुआ है।

रोजगार की समस्या

ग्रेटर नोएडा में अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय उद्योग स्थापित हो रहे हैं। इसके बावजूद ग्रेटर नोएडा की प्रमुख सामाजिक समस्याओं में सबसे ऊपर रोजगार है। औद्योगिक नगरी होने के बावजूद यहां के स्थानीय युवा बेरोजगारी की समस्या से घुसे हुए हैं। हालांकि, रोजगार की कमी से प्रदेश के अन्य जिले भी घिसे हुए हैं।

प्लैट की किश्त पूरी, लेकिन नहीं मिली मकान की चाभी

इसके अलावा ग्रेटर नोएडा में होम बायर्स की समस्या विकराल है। यहां रियल स्टेट का  व्यापक बाजार है। यहां की दूसरी सबसे बड़ी समस्या है, बिल्डर्स को फ्लैट का पूरा पेमेंट कर देने के बावजूद फ्लैट की चाभी न मिलना। यहां कई ऐसे लोग हैं, जो 3-4 साल पहले ही अपने प्लैट की पूरी किश्त जमा कर चुके हैं, लेकिन अभी तक उन्हें मकान नहीं मिल पाया है। इस कारण यहां बिल्डर्स के खिलाफ आए दिन विरोध प्रदर्शन देखने को मिल जाता है। बिल्डर्स और बायर्स के बीच कई राउंड बैठकें होने के बाद भी समस्या का कोई हल नहीं निकल सका है।

आपराधिक घटनाएं

आपराधिक घटनाओं के मामले में ग्रेटर नोएडा का ग्राफ बेहद खराब है। यहां लूटपाट, हत्या जैसे क्राइम की घटनाएं तो आम बात है। यहां बदमाश पुलिस को लगातार चुनौती देते हुए नजर आते हैं।

प्राधिकरण के चक्कर

यहां पर विकास कार्य ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, यमुना विकास प्राधिकरण, नोएडा प्राधिकरण करते हैं। इस जिले में तीन प्राधिकरण हैं जो क्षेत्र का विकास करते हैं, लेकिन समस्याओं को लेकर लोग प्राधिकरण के चक्कर ही काटते रहते हैं।

ट्रैफिक समस्या

क्या नोएडा और क्या ग्रेटर नोएडा.. ट्रैफिक की समस्या ने लोगों का जीना मुश्किल कर रखा है। ट्रैफिक पुलिस भी जाम की समस्या को हल करने में विफल नजर आती है। ऑफिस जाने और खत्म होने के पीक टाइम पर तो लोग घंटों जाम में फंसे रहते है। ये भी सच है कि बहुत ही कम ऐसे मौके होते हैं जब आपको रेड लाइट पर कोई पुलिस वाला खड़ा मिलेगा, नहीं तो लोग अपनी मनमानी करते दिखते हैं। जिसका परिणाम ट्रैफिक जाम के रूप में देखने को मिलता है।

प्रदूषण की समस्या

दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण स्तर पर आए दिन बहस होती है। फैक्ट्रियों से निकलते खतरनाक धुएं ने लोगों का सांस लेना मुश्किल कर रखा है। हालांकि प्रदूषण फैसले के कई अन्य जरिये भी है, जिस कारण बिना मास्क के लोगों का घर से निकलना भी मुश्किल हो जाता है। प्रदूषण की सबसे ज्यादा समस्या उस वक्त देखने को मिलती है, जब पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब में पराली जलाते के मामले सामने आते हैं।