UP News: ग्रेटर नोएडा में एक ओर मानसून की पहली तेज बारिश ने जहां शहर को राहत दी, वहीं दूसरी ओर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तैयारियों की सच्चाई भी सामने ला दी. आज हुई बारिश के बाद शहर के कई इलाकों में भयानक जलभराव की स्थिति पैदा हो गई. तिलपाता, कुलेसरा, डीएम ऑफिस के पास सूरजपुर गोलचक्कर और आस-पास के क्षेत्र पूरी तरह से पानी में डूब गए.
शहर की प्रमुख सड़कों पर पानी इतना भर गया कि पैदल चलना तो दूर, वाहन चालकों को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा. खास तौर पर डीएम ऑफिस के बाहर व सूरजपुर गौल चक्कर की सड़क पर इतना पानी जमा हो गया कि लोग अपनी मोटरसाइकिल और स्कूटर को धक्का देकर निकालने को मजबूर हो गए.
गौरतलब है कि शहरवासियों का कहना है कि हर बार की तरह इस बार भी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने जल निकासी की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की. नालों की सफाई समय पर नहीं हुई और जो सिस्टम बनाए गए थे वे पहली बारिश में ही ध्वस्त हो गए. हर साल की तरह इस बार भी सड़कों पर जल जमाव की स्थिति देखने को मिली. नालों और सीवर की सफाई के लिए करोड़ों रुपया का हर साल टेंडर निकाले जाते हैं लेकिन करोड़ों रुपया खर्च करने के बाद भी व्यवस्था जस की तस रही.
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की लापरवाही साफ तौर पर देखी जा सकती है. हर साल करोड़ों रुपये सफाई और जल निकासी पर खर्च करने के दावे किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है.
बड़ी-बड़ी योजनाओं की पोल खुली
प्राधिकरण की ओर से शहर को जलभराव मुक्त बनाने के लिए योजनाएं जरूर बनाई जाती हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन केवल कागजों तक ही सीमित रहता है. बारिश ने ही स्मार्ट सिटी के दावों की हवा निकाल दी है. प्रोफेसर सफदर अली ने बताया कि जलभराव की वजह से बच्चों, बुजुर्गों और ऑफिस कर्मचारियों को जाने आने में भारी दिक्कतें झेलनी पड़ीं। कई इलाकों में लोग ट्रैफिक में फंसे रहे.
ग्रेटर नोएडा के निवासी प्रोफेसर राहुल सेठ ने बताया कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को अब केवल घोषणाओं से नहीं, बल्कि जमीन पर उतरकर काम करने की जरूरत है. बारिश ने यह साबित कर दिया कि मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह से नाकाम है. जब तक जल निकासी की पुख्ता व्यवस्था नहीं होती, तब तक हर बारिश शहर के लिए मुसीबत बनती रहेगी.