उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने बस्ती के कृषि विज्ञान केंद्र बंजरिया में एक कार्यक्रम के दौरान 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान को गति देने के लिए एक जोरदार अपील की है. उन्होंने विदेशी डेरी उत्पादों के इस्तेमाल पर सवाल उठाते हुए खुलासा किया कि विदेशी गायों को मांसाहारी भोजन खिलाया जाता है, जिसके कारण उनके दूध से बने उत्पादों से परहेज करने की सलाह दी.

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने विदेशी डेरी उत्पादों के आयात पर रोक लगा दी है. उन्होंने बताया कि हमारे देश की गायें और भैंसें घास और अनाज खाती हैं, लेकिन विदेशों में पशुओं को मांसाहारी भोजन दिया जाता है. क्या ऐसे पशुओं के दूध से बना पनीर या अन्य उत्पाद हमारी सेहत और संस्कृति के लिए उपयुक्त हैं? यह बयान स्वास्थ्य और सांस्कृतिक पहचान को लेकर चिंता जताता है, जो लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है.

टैरिफ लगाने की योजना

स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए सरकार विदेशी डेरी उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाने की तैयारी में है. राज्यपाल ने कहा कि सरकार 50 से 80 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने पर विचार कर रही है. जब ये उत्पाद महंगे हो जाएंगे, तो लोग स्वाभाविक रूप से सस्ते और स्वदेशी विकल्पों की ओर रुख करेंगे. यह कदम न केवल आयात को कम करेगा, बल्कि भारतीय डेरी उद्योग को मजबूती देगा.

किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा

आनंदी बेन पटेल ने जोर देकर कहा कि स्वदेशी डेरी उत्पादों के इस्तेमाल से किसानों और पशुपालकों की आय में वृद्धि होगी. उन्होंने कहा कि जब लोग अपने देश में बने मक्खन, पनीर और दूध का उपयोग करेंगे, तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. यह 'आत्मनिर्भर भारत' का असली मकसद है. यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान को बल देती है, जो स्थानीय उत्पादकों को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है.

स्वास्थ्य और सांस्कृतिक पहचान का मुद्दाराज्यपाल ने इस मुद्दे को केवल आर्थिक से परे जाकर सांस्कृतिक पहचान से जोड़ा. उन्होंने कहा कि विदेशी उत्पादों पर निर्भरता हमारी परंपराओं को कमजोर करती है.