Gorakhpur ITM GIDA News Today: आईटीएम गीडा के पांच भावी इंजीनियर्स ने ऐसा ड्रोन तैयार किया है, जो नदी और तालाब में डूब रहे लोगों की समय रहते जान बचा सकेगा. इस ड्रोन एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आर्मी को मदद मिलेगी. इस ड्रोन को बनाने में महज 15 दिन का समय लगा है और इसकी लागत महज 15 हजार रुपए है.


गोरखपुर के इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी एंड मैनेजमेंट गीडा के बीटेक फर्स्‍ट ईयर के पांच छात्र-छात्राओं सिद्धांत सिंह कौशिक, उज्‍जवल कुमार श्रीवास्‍तव, खुशी आलिआ, अंजलि कुमारी और ज्ञानेश मिश्रा ने मिलकर आईटीएम के इनोवेशन सेल की टीम के निर्देशन में इस वाटर सेफ्टी ड्रोन को तैयार किया है. ये ड्रोन नदी-तालाब में डूब रहे लोगों की जान बचाएगा.  


पांच छात्रों ने किया तैयार


इस वाटर सेफ्टी ड्रोन को तैयार करने वाली पांच सदस्‍यीय टीम की बीटेक फर्स्‍ट ईयर की स्‍टूडेंट ख़ुशी और अंजलि ने बताया कि नदियों और तालाबों में डूबने सें हजारों लोगों की जान समय पर मदद नहीं मिलने की वजह से चली जाती है. यही वजह है कि उन्‍होंने इस वाटर सेफ्टी ड्रोने को तैयार करने का प्‍लान बनाया, जिससे एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आर्मी के जाबाज जवानों को पानी में डूब रहे लोगों की जान बचाने में मदद मिल सके.


छात्रों ने क्या कहा?


सिद्धांत और उज्जवल ने बताया हाल ही में गोरखपुर में एक ही परिवार के तीन युवकों की नदी में नहाते समय डूबने मौत गई थी. ऐसी घटनाओ में समय से मदद मिल जाए, तो डूब रहे लोगों को बचाया जा सकता है. नदी और तालाब में डूब रहे शख्‍स को बचाने के लिए रिमोट की सहायता से वाटर सेफ्टी ड्रोन की सहायता से डूब रहे व्यक्ति तक पहुंचाना है. ये काम 10 सें 20 सेकेंड के अंदर रिमोट की सहायता से किया जा सकता है. उन्‍होंने बताया कि वाटर गार्ड ड्रोन के पीछे सेफ्टी टीयू एयर रिंग लगाया गया है, जिसे डूबने वाला व्यक्ति आसानी सें पकड़ कर डूबने से बच सकता है. 


छात्र ज्ञानेश मिश्रा ने बताया कि इस वाटर ड्रोन में वाटरप्रूफ सेफ्टी हेल्प बटन लॉकेट भी लगाया गया है. इससे नदी में नहाने वाले अपने गले में पहन सकतें हैं. इसके साथ ही आपात स्थिति में इस बटन को दबाकर नदी के किनारे वाटर ड्रोन या बचाव दल को  सूचना दे सकते हैं.  सिद्धांत ने बताया वाटर गार्ड ड्रोन की स्पीड  यानी रफ़्तार अभी करीब 40 से 80 किलोमीटर प्रति घंटे है.  इसके माध्यम से डूबने वाले शख्‍स को समय रहते पहुंचकर बचाया जा सकता है.  


ड्रोन को बनाने में आया केवल 15 हजार रूपए का खर्च


वाटर ड्रोन को बनाने में 15 हजार रूपए खर्च आया है. इसे बनाने में 15 दिन का समय लगा है. इसे तैयार करने में 7 वोल्ट बैटरी, प्लास्टिक नाव, थ्रीड़ी प्रिंटेड रिमोट कंट्रोल अलार्म, रेडियो  ट्रांसमीटर, रिसीवर उपकरण का प्रयोग किया गया हैं. संस्थान के निदेशक डॉ. एनके सिंह ने वाटर सेफ्टी ड्रोन बनाने वाले छात्र -छात्राओं के परिश्रम और नवाचार को देखकर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सभी छात्रों को शुभकामनाएं दी है. इस अवसर पर संस्थान के अध्यक्ष नीरज मातनहेलिया, सचिव श्याम बिहारी अग्रवाल, कोषाध्यक्ष निकुंज मातनहेलिया, संयुक्त सचिव अनुज अग्रवाल सहित संस्थान के सभी शिक्षकों ने प्रसन्नता व्यक्त की है. 


ये भी पढ़ें: Lok Sabha Elections 2024: 'राहुल गांधी डर गए' के बयान पर कांग्रेस का पलटवार, रवि किशन को याद दिलाया इतिहास