Geeta Press News: विश्व प्रसिद्ध गीता प्रेस ने 99 सालों में 15 भाषाओं में विभिन्न धार्मिक पुस्तकों की 71.77 करोड़ से अधिक प्रतियां प्रकाशित की हैं. यहां के ट्रस्टी ने इस बारे में जानकारी दी है. बता दें कि गीता प्रेस को भारत के घर-घर में रामचरितमानस, भगवद्गीता और दूसरी धार्मिक किताबों को सस्ते में पहुंचाने का श्रेय जाता है. वहीं, साल 2015 में गीता प्रेस में हड़ताल हुई और बंद होने की अफवाह भी फैली थी.

गीता प्रेस के ट्रस्टी ने कहा, '1923 में अंग्रेज़ों के शासनकाल में गीता प्रेस की शुरूआत की गई थी. गीता, रामायण से शुरू होकर वर्तमान में 1,800 ग्रंथ यहां छापे जाते हैं.'  गोरखपुर की गीता प्रेस बेहद सीमित संसाधनों में चल रही है. यहां ज्यादा मुनाफे पर किताबें नहीं बेचीं जाती और साथ ही दूसरों से चंदे के पैसा नहीं लिया जाता. जानकारी के अनुसार, गीता प्रेस में लगभग 200 कर्मचारी काम करते हैं.

साल 1923 में हुई थी गीता प्रेस की शुरुआत

गीता प्रेस की शुरुआत 1923 में एक छोटे से किराए के कमरे में तीन मशीनों और कुछ लोगों के साथ हुई थी. इसके संस्थापक जयदयाल गोयन्दका थे, जिन्होंने सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए गीता प्रेस की नींव रखी थी. टेक्नोलॉजी के साथ गीता प्रेस भी आगे बढ़ी और अब इनकी किताबें ई-बुक्स के रूप में इंटरनेट पर भी उपलब्ध हैं. गीता प्रेस गोरखपुर रेलवे स्टेशन से 4 किलोमीटर दूरी पर रेती चौक के पास स्थित है.

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