UP News: मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर (एमजीयूजी) परिसर के हॉस्पिटल एवं गुरु श्री गोरखनाथ चिकित्सालय के चिकित्सकों का आह्वान किया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि कोई भी मरीज उपचार के बिना वापस न जाए. सेवाभाव के साथ उपचार ही शीर्ष प्राथमिकता होनी चाहिए. पैसा किसी के भी इलाज में बाधक नहीं बनना चाहिए.

मुख्यमंत्री शनिवार रात एमजीयूजी परिसर के मेडिकल कॉलेज के हॉस्पिटल और गुरु श्री गोरखनाथ चिकित्सालय के करीब सवा सौ चिकित्सकों के साथ बैठक कर रहे थे. गोरखनाथ मंदिर के सभाकक्ष में हुई बैठक में सीएम योगी ने कहा कि भौगोलिक रूप से अलग-अलग होने के बावजूद दोनों चिकित्सालय एक यूनिट हैं. दोनों को मिलकर और समन्वय बनाते हुए उपचार करना है. उन्होंने बताया कि गुरु श्री गोरखनाथ चिकित्सालय की भांति बालापार स्थित एमजीयूजी परिसर के हॉस्पिटल में भी अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण उपलब्ध हैं. अगले माह से सीटी स्कैन, एमआरआई की सुविधा भी शुरू हो जाएगी.

चिकित्सकों का बढ़ाया उत्साह

मुख्यमंत्री ने सभी चिकित्सकों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि एमजीयूजी के मेडिकल कॉलेज/हॉस्पिटल के पास योग्य चिकित्सकों की फौज है. यहां मेदांता अस्पताल के चिकित्सकों की सेवा भी ऑनलाइन आईसीयू में उपलब्ध है. एम्स के रिटायर्ड चिकित्सक भी सेवा दे रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा सामूहिक प्रयास से इमरजेंसी सेवा को निरंतर उत्कृष्ट बनाते रखने की आवश्यकता है.

सीएम योगी ने चिकित्सकों से उनका फीडबैक भी लिया और कहा कि हर मरीज को तत्काल फर्स्ट एड मिलना चाहिए. गुरु श्री गोरखनाथ चिकित्सालय के चिकित्सक बालापार के हॉस्पिटल में भी मरीजों को देखें. गुरु श्री गोरखनाथ चिकित्सालय में जगह न होने पर बालापार के हॉस्पिटल में भर्ती कर मरीज को सभी सुविधा दें. कोई भी मरीज उपचार बिना वापस न जाए. यह ध्यान रखें कि मरीजों की सेवा ही दोनों अस्पतालों के ध्येय है। पैसा किसी की दवा में बाधक न बने. 

मुख्यमंत्री के साथ हुई इस बैठक में एमजीयूजी के कुलपति डॉ. सुरिंदर सिंह, मेडिकल डायरेक्टर डॉ. हिमांशु दीक्षित, डॉ. राजीव श्रीवास्तव, एमजीयूजी के मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अनुराग श्रीवास्तव, आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गिरिधर वेदांतम, मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. रोहित एलानी, डॉ. राकेश सिंह, डॉ. मनोज गुप्त, डॉ. एपी त्रिपाठी, डॉ. घनश्याम सिंह, डॉ. समृद्धि, डॉ. सीवी मद्धेशिया, डॉ. केके शाही सहित करीब सवा सौ चिकित्सक मौजूद रहे.