गोंडा, एबीपी गंगा। पिछले एक महीने से गोंडा के दो तहसील क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात हैं. हालांकि, अब घाघरा नदी का जलस्तर काफी हद तक कम हुआ है. लेकिन लोगों की दुश्वारियां जस की तस बनी हुई हैं. खेतों में लगी फसल बर्बाद हो चुकी है. लोग अपना घर छोड़कर ऊंचे स्थान या बांध पर रहने को मजबूर हैं. बांध पर रह रहे लोगों को पानी पीने की काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. सारे बाढ़ पीड़ित बांध पर अपने जरूरी सामान और मवेशियों के साथ रह रहे हैं. गांव में वही लोग हैं, जो अपने सामान की रखवाली करने में जुटे हैं. दोनों तहसील को मिलाकर लगभग 5000 की आबादी बाढ़ से प्रभावित है. वहीं जिला प्रशासन का कहना है कि नकहारा गांव सहित अन्य बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत किट के साथ सभी जरूरी सुविधाएं बांटी जा रही हैं।


कर्नलगंज तहसील क्षेत्र के घाघरा नदी के किनारे बसे नकहारा गांव में नदी का जलस्तर अब खतरे के निशाने से नीचे है. हालांकि, गांव की परेशानियां कुछ कम नहीं हुई है. गांव के करीब 95 फीसदी लोग ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हैं. वहीं, करीब 5 फीसदी लोग गांव में अपने सामान की रखवाली करने में जुटे हैं.


इनका कहना है कि अभी तक एक बार राहत किट मिली है. वहीं, पानी पीने के लिए इन्हें एक किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है. हालांकि, कभी-कभी ये लोग नदी का पानी पी लेते हैं. कभी किसी का हैंडपंप खाली मिलता है तो वहां से पानी ले आते हैं. इनका कहना है कि पानी पीने के लिए लोगों को बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ा है.


वहीं, पूरे मामले पर जिला अधिकारी डॉ. नितिन बंसल से बात की. उनका कहना है कि कर्नलगंज क्षेत्र के नकहारा गांव के बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत किट सहित अन्य जरूरी सामान मुहैया करा दिया गया है. पीने के पानी के लिए टैंकर लगवा दिया गया है. क्लोरीन की गोलियां भी बांटी गई हैं ताकि लोग पानी शुद्ध करके पी सकें. चिकित्सा टीम वहां के लोगों और पशुओं का टीकाकरण करवाने में जुटी है. बंसल ने कहा कि प्रशासन पूरी तरीके से मुस्तैद है.


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