‘अगर जमीन ही नहीं रहेगी तो हमारे लिए क्या बचेगा?’, कॉप-14 में छात्रों ने जताई पर्यावरण संबंधी चिंताएं जताई
ABP Ganga | 04 Sep 2019 09:41 AM (IST)
14वें कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (कॉप-14) में बंजर होती जमीन, कम होती पैदावर और मरुस्थलीकरण पर छात्रों ने चिंता जताई।
ग्रेटर नोएडा, (भाषा)। दिल्ली के कई स्कूलों के छात्रों ने मरुस्थलीकरण की चुनौती से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीसीडी) के तहत मंगलवार को यहां 14वें कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (कॉप-14) में भूमि के क्षरण और जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक संसाधनों की कमी पर अपनी चिंताएं व्यक्त की।
जलवायु परिवर्तन पर स्कूलों में कार्यशालाओं का आयोजन करने वाले संगठन सीड्स से जुड़े छात्रों ने पूछा, ‘अगर जमीन ही नहीं रहेगी तो हमारे लिए क्या बचेगा?’ एक छात्र ने कहा, ‘मैं पर्यावरण संबंधी चिंताओं पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए यहां आया हूं। मैं पर्यावरण को बचाना चाहता हूं और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के कदम पर काम करना चाहता हूं।’
गौरतलब है कि बंजर होती जमीन और कम होती पैदावर की समस्या का सामना करने के लिए सोमवार को ग्रेटर नोएडा में इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के 12 दिवसीय कॉप-14 का शुभारंभ हुआ। इस कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण प्रतिरोध सभा (यूएनसीसीडी ) के कार्यकारी सचिव इब्राहिम थियाव समेत केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो शामिल हुए। इस दौरान मरुस्थलीकरण की समस्या पर एकजुट होकर लड़ने का संकल्प लिया गया। जहां जावड़ेकर ने कहा, 'समय की आवश्यकता है कि व्यापक स्तर पर लोगों को जागरूक किया जाए। चाहे जलवायु परिवर्तन हो या मरुस्थलीकरण, इस समस्या से निपटाने के लिए लोगों की भागीदारी जरूरी है।' उन्होंने कहा कि लोगों के कार्यों की वजह से ही प्रकृति के संतुलन को नुकसान पहुंचा है, इसके लिए एकजुट होकर लड़ने की आवश्यकता है।
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