Ghosi By Election 2023: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले घोसी उपचुनाव जीतने के लिए सत्ताधारी दल और सरकार ने पूरी ताकत लगाई, लेकिन इस बार भी ये सीट बीजेपी (BJP) के खाते में नहीं आ पाई. घोसी की जनता ने दारा सिंह चौहान (Dara Singh Chauhan) को हार का मुंह दिखाया इसके साथ ही बीजेपी को भी नया प्रयोग करने से पहले गौर करने का संदेश दिया.

  


2022 विधानसभा चुनाव में दारा सिंह चौहान ने सपा के टिकट पर 22000 से अधिक मतों से चुनाव जीता था लेकिन सवा साल के भीतर वो सपा से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए और फिर बीजेपी ने उन्हें फिर से उपचुनाव में उतार दिया, लेकिन दारा सिंह इस बार मतदाताओं का दिल नहीं जीत पाए. वहीं दूसरी तरफ अचानक दारा सिंह चौहान को बीजेपी में शामिल करवाकर उन्हें टिकट दे देना बीजेपी कार्यकर्ताओं को भी रास नहीं आया. चुनाव लड़ने पर मतदाताओं से इतर बीजेपी के तमाम कार्यकर्ता भी अंदर खाने नाराज दिखाई दिए.


क्यों नाराज था बीजेपी का कार्यकर्ता?


घोसी उपचुनाव में दारा सिंह के प्रत्याशी बनाए जाने पर तमाम लोकल कार्यकर्ता नाराज थे. कार्यकर्ताओं का कहना था कि इसी दारा सिंह के खिलाफ 16 महीने पहले उन्होंने प्रचार किया था, अब उसी के लिए जनता से वोट मांगने कैसे जाएंगे. वहीं दूसरा तर्क ये भी था कि जब इस तरह दूसरे दलों के नेताओं को तोड़कर चुनाव लड़ाया जाएगा तो पार्टी के निषाद, कुर्मी, ठाकुर, भूमिहार, राजभर, ब्राह्मण और दलित नेताओं को मौका कैसे मिलेगा. 


बीजेपी की पूरी फौज भी नहीं दिला पाई जीत


बीजेपी ने दारा सिंह चौहान को जिताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी. बीजेपी ने अपने दो दर्जन मंत्रियों, 6 दर्जन विधायकों को चुनाव प्रचार में उतार दिया था. उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह लगातार वहां प्रवास करते रहे. उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य भी प्रचार किया, सीएम भी गए. सरकार के मंत्री और पार्टी पदाधिकारियों ने घर-घर दस्तक दी, लेकिन जनता और कार्यकर्ताओं की नजर नाराजगी के कारण दारा को हर का सामना करना पड़ा. 


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