उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में हाल ही में गंगा और उसकी सहायक नदी मगई के उफान ने भांवरकोल और मोहम्मदाबाद तहसील के करईल इलाके में भारी तबाही मचाई है. मगई नदी, जिसे स्थानीय लोग 'बिहार की कोसी' कहते हैं, के बाढ़ के पानी ने 400 एकड़ से अधिक खरीफ की फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया.

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पीड़ित किसानों और ग्रामीणों का आरोप है कि जिला प्रशासन ने न तो नुकसान का आकलन किया और न ही राहत सामग्री वितरित की. बाढ़ प्रभावित गांवों में प्रशासनिक अधिकारियों की अनुपस्थिति और लापरवाही को लेकर किसानों ने 7 अगस्त को IGRS में शिकायत दर्ज की, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

किसानों की बर्बादी

पिछले दिनों गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से मगई नदी भी उफान पर आ गई, जिसके कारण भांवरकोल और करईल इलाके के कई गांव जलमग्न हो गए. खेतों में पानी भरने से धान, मक्का, और अन्य खरीफ फसलों को भारी नुकसान हुआ. किसान शिवकुमार राय ने बताया कि हमने बैंकों से कर्ज लेकर धान की रोपाई की थी, लेकिन मगई नदी की बाढ़ ने सब कुछ डुबो दिया. 400 एकड़ से ज्यादा फसल बर्बाद हो गई. प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली, न राहत सामग्री, न कोई अधिकारी हाल-चाल लेने आया.

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प्रशासन पर लापरवाही का आरोप

प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ के दौरान कई दिन तक वे अपने घरों और गांवों में पानी के कारण कैद रहे. अब जब पानी कम हुआ है, तो आवागमन शुरू हुआ, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई तहसीलदार, SDM, या राजस्व अधिकारी नुकसान का आकलन करने नहीं पहुंचा. ग्रामीणों ने 7 अगस्त को IGRS के जरिए शिकायत दर्ज की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. किसानों ने जिला अधिकारी के जनता दर्शन में पहुंचकर अपनी समस्याओं का पत्रक सौंपा और मुआवजा व राहत की मांग की.

लापरवाही पर कार्रवाई होगी

ADM और आपदा प्रबंधन प्रभारी दिनेश कुमार ने बताया कि बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन चल रहा है और आगे भी जारी रहेगा. अगर किसी कारण राजस्व अधिकारी प्रभावित गांवों में नहीं पहुंचे, तो जल्द वहां भेजे जाएंगे. राहत सामग्री के वितरण पर उन्होंने कहा कि राहत सामग्री के लिए एक मानक होता है. अगर गांव उस मानक के दायरे में नहीं आए, तो वितरण नहीं हुआ होगा. इसकी जांच की जाएगी, और अगर किसी की लापरवाही पाई गई, तो कार्रवाई होगी.