गौतमबुद्धनगर के बहुचर्चित तिहरे हत्याकांड मामले में जिला एवं सत्र न्यायालय ने मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए चार आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. 23 साल पुराने इस मामले में न्यायालय ने नगला दादरी के गजेन्द्र, फिरे तथा दुजाना गांव के रमेश उर्फ बिट्टू और सिंटू उर्फ रविकांत को दोषी करार दिया. इन सभी पर हत्या, हत्या का प्रयास, दंगा करने, घर में घुसकर हमला करने और जान से मारने की धमकी देने जैसे गंभीर आरोप सिद्ध हुए हैं.

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न्यायालय ने चारों दोषियों पर 77-77 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. जुर्माना न भरने की स्थिति में दोषियों को छह-छह महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा. इस फैसले के बाद पीड़ित परिवार ने राहत की सांस ली और इसे न्याय की जीत करार दिया.

भूमि विवाद से शुरू हुआ था खूनी संघर्ष

घटना 24 अप्रैल 2002 की है, जब थाना दादरी क्षेत्र के नांगला नैनसुख गांव में भूमि विवाद को लेकर दो पक्षों में हिंसक टकराव हुआ था. शिकायतकर्ता बलबीर सिंह के अनुसार, आरोपी अवैध हथियारों से लैस होकर उनके घर में घुसे और अंधाधुंध फायरिंग करने लगे. इसके साथ ही धारदार हथियारों से हमला भी किया गया. इस हमले में जेतीराम, धर्मवीर और नरेंद्र (पुत्र रतन सिंह) की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि सुरेंद्र और ममता कौर समेत कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे.

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कोर्ट में पेश हुए ठोस सबूत और गवाह

सरकारी वकील चवनपाल भाटी ने बताया कि अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में घटना स्थल से बरामद खाली कारतूस, खून से सने कपड़े और मिट्टी समेत कई अहम सबूत पेश किए. इसके अलावा मृतकों के परिजन, घायल गवाह, पंचायतनामा के साक्ष्य और पोस्टमार्टम रिपोर्ट सहित कुल 13 गवाह और 37 दस्तावेजी प्रमाणों को अदालत में प्रस्तुत किया गया. अभियोजन ने दलील दी कि यह हमला पूरी तरह सुनियोजित और सामूहिक रूप से किया गया था, जिसका उद्देश्य निर्दोष लोगों की हत्या करना था.

अदालत ने कहा- यह अपराध अत्यंत गंभीर

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश विजय कुमार हिमांशु ने चारों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 307, 302, 452 और 506 के तहत दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई. अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि यह मामला 'दुर्लभतम' की श्रेणी में भले न आता हो, लेकिन अपराध की गंभीरता को देखते हुए कठोर सजा देना आवश्यक है.