प्रयागराज, एबीपी गंगा। कोरोना की महामारी के लॉक डाउन के बीच प्रयागराज में कोटक महिन्द्रा बैंक में नौ करोड़ 46 लाख रुपये से अधिक के गबन का मामला सामने आया है। बैंक के सिविल लाइन शाखा में हुए गबन के मामले से बैंक अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। इस मामले में कोटक महिन्द्रा बैंक के शाखा प्रबंधक अमित मालवीय और क्षेत्रीय प्रबंधक मोहम्मद ताहिर ने बैंक के सेवा प्रदाता अधिकारी यानि एसडीओ अंशुमान दुबे के खिलाफ सिविल लाइन थाने में एफआईआर भी दर्ज करा दी है। बैंक के अधिकारियों ने एसडीओ के खिलाफ अमानत में खनायत और ठगी का मुकदमा दर्ज कराया है।
गौरतलब है कि अंशुमान बैंक में पिछले पांच साल से कार्यरत था। कोटक महिन्द्रा बैंक का करेंसी चेस्ट यहां न होने के चलते रुपये को बैंक ऑफ बड़ौदा की खुल्दाबाद शाखा में जमा किया जाता था। बैंक ऑफ बड़ौदा में रुपये जमा कराने की जिम्मदारी बैंक की ओर से अंशुमान को ही सौंपी गई थी। आरोप है कि अंशुमान ने बैंक में पूरी रकम जमा नहीं करता था और उसमें निकाले गए रुपये वह निजी कामों में लेता था और ब्याज पर दूसरों को भी देता था। विभागीय स्तर पर करायी गई जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि बैंक ऑफ बड़ौदा में कम रकम जमा की गई। इस संबंध में जब बैंक के उच्च अधिकारियों ने अंशुमान से सख्ती से पूछताछ की तो उसने अपना जुर्म भी कबूल कर लिया है। बैंक के अधिकारियों के मुताबिक अंशुमान ने लगभग डेढ़ साल में नौ करोड़, 46 लाख , 27 हजार 500 रुपये का गबन किया है। इस मामले में सिविल लाइन पुलिस ने बैंक के अधिकरियों की ओर से दी गई तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरु कर दी है।
2019 में भी आया था ऐसा मामला गौरतलब है कि इसी तरह है एक मामला प्रयागराज जिले में ही तीन जुलाई 2019 को बैंक आफ इंडिया की सुलेम सराय ब्रांच में भी सामने आया था। जिसमें चेस्ट अधिकारी ने बैंक के चेस्ट से सवा चार करोड़ निकालकर बिल्डरों को ब्याज पर दे दिया था। इस मामले में धूमनगंज पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई भी शुरु की थी। लेकिन तीन करोड़ से ज्यादा का गबन होने के चलते आरबीआई के नियमों के तहत राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। जिस मामले की सीबीआई ने जांच भी शुरु कर दी है। इस मामले में पुलिस और बैंक के अधिकारी अभी कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। बैंक की तरफ से यह दावा ज़रूर किया गया है कि ग्राहकों का पैसा सुरक्षित है।