Flood in UP: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हमीरपुर में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया. इसके बाद उन्होंने बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत सामग्री बांटी. सीएम ने जनप्रतिनिधि और ज़िला अधिकारियों के साथ बाढ़ आपदा राहत कार्य की समीक्षा बैठक की.


योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यमुना और बेतवा नदी में काफी मात्रा में जल छोड़ा गया है जिसकी वजह से यहां बाढ़ की स्थिति हुई है. लगभग 90 गांव बाढ़ के चपेट में आए हैं. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री बांटी जा रही हैं.



बता दें कि यूपी में गंगा और उसकी सहायक नदियों में पानी बढ़ने से आफत आ गई है. बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए वायुसेना की मदद ली जा रही है. एयरफोर्स के हेलिकॉफ्टर बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत सामाग्री गिरा रहे हैं. जालौन में रिलीफ और रेस्क्यू के लिए वायुसेना के तीन हेलिकॉप्टर तैनात किए गए है. प्रयागराज और वाराणसी समेत कई जिलों में लाखों लोग बाढ़ की चपेट में हैं.


यूपी के वाराणसी में भी बाढ़ से हालात बिगड़ते जा रहे हैं . यहां गंगा खतरे के निशान से लगभग 13 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. मारुति नगर, जानकीनगर, सामने घाट ,अस्सी घाट समेत वरुणा पार के दर्जनों मोहल्लों में गंगा का पानी घुस चुका हुआ है. मकान पानी में डूबे हुए हैं. लोग घरबार छोड़कर सुरक्षित स्थानों की तरफ जा रहे हैं. एनडीआरएफ की टीमें बाढ़ प्रभावित इलाकों लगातार राहत और बचाव के काम में जुटी है.


अस्सी घाट पूरी तरह जलमग्न हो चुका है


वाराणसी का अस्सी घाट पूरी तरह जलमग्न हो चुका है. यहां करीब दस फुट से ज़्यादा पानी भरा है. घाट पर सारी गतिविधियां थमी हुई हैं. आसपास बने रेस्टोरेंट, दुकानों और घरों में भी गंगा का पानी घुस चुका है. सड़कों पर नाव चल रही है. वाराणसी में बाढ़ से लोग परेशान हैं. कारोबार ठप है. कोरोना संकट के बाद बाढ़ के संकट ने लोगों के सामने रोजी रोटी की समस्या खड़ी कर दी है.


प्रयागराज में गंगा-यमुना नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया


संगम नगरी प्रयागराज में भी गंगा और यमुना नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया है. बाढ़ में हजारों मकान डूब गए हैं. तराई के इलाकों में एक मंजिल तक पानी भरा है. बाढ़ को लेकर प्रशासन ने रेड अलर्ट जारी किया है. कई सड़कों और रास्तों पर नाव चल रही हैं.  बाढ़ से लाखों लोग प्रभावित हुए हैं. हजारों लोगों ने बाढ़ राहत शिविरों और दूसरी सुरक्षित जगहों पर शरण ली हुई है. तमाम लोग जहां-तहां फंसे हुए हैं. प्रशासन ने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम तैनात कर दी है, जो लगातार राहत और बचाव का काम कर रही हैं.


कानपुर के बाजारों में नर्क जैसा हाल 


कानपुर में भी भारी बारिश से बुरा हाल है. शहर में जगह-जगह पानी भरने से लोगों को भारी परेशानी हो रही है. बाजारों में नर्क जैसा हाल है. सड़कों पर गाड़ियां भी रेंगती नजर आ रही है. इस जल जमाव और गंदगी की वजह से शहर में बीमारियों का खतरा बढ़ गया है.


बलिया में भी गंगा नदी तबाही मचा रही है. शहर के निचले इलाके बाढ़ के पानी में घिर गए हैं . लोगों के घरों में पानी घुस गया है. एनडीआरएफ की टीमें डूब वाले इलाकों से लोगों को निकाल रही है. शनिचरी मंदिर के आसपास के इलाके और निहोरा राय कॉलोनी का सबसे बुरा हाल है. प्रशासन ने शहर के दूसरे इलाकों के लोगों को भी सतर्क रहने को कहा है . अगर गंगा में पानी बढ़ता है तो कई और कॉलोनियां बाढ़ की चपेट में आ जाएंगी. बलिया में बाढ़ पर प्रशासन और सरकार की भी पूरी नजर है. कल बलिया के प्रभारी मंत्री अनिल राजभर ने बैरिया तहसील पहुंचकर बाढ़ पीड़ितों का हाल जाना. हालांकि यहां कुछ लोगो सरकार से नाराज भी दिखे. 


बांदा में यमुना खतरे के निशान से लगभग 3  मीटर ऊपर


बांदा में यमुना खतरे के निशान से लगभग 3  मीटर ऊपर और केन नदी लाल निशान से 1 मीटर नीचे बह रही है. इसकी वजह से जनपद के पचास से ज्यादा गांवों में बाढ़ का पानी घुस चुका है. प्रशासन ने एहतियातन बांदा-बहराइच राजमार्ग को बंद कर दिया है जिससे कानपुर-लखनऊ रूट पर गाड़ियों की आवाजाही ठप पड़ गई  है. बबेरू के औगासी, चिल्ला, जसपुरा, पैलानी और तिंदवारी क्षेत्र के गांव बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.


उन्नाव में भी गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से तलहटी के मोहल्लों में लोगों की मुसीबतें बढ़ गई हैं. सदर तहसील क्षेत्र के गोताखोर, बालूघाट, सीताराम कॉलोनी, इन्द्रा नगर, शक्ति नगर, कटरी, रविदास नगर में पानी पहुंच गया है. लोग सुरक्षित स्थानों की तरफ पलायन कर रहे हैं. जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. शहर मुख्यालय से कई मोहल्लों का संपर्क भी टूट चुका है. लोगों को मवेशियों के लिए चारे-पानी तक को भटकना पड़ रहा है. जिला प्रशासन के निर्देश पर लेखपालों ने 15 दिन पहले सर्वे किया लेकिन जरूरतमंदो तक कोई सहायता नहीं पहुंची यानि कि प्रशासन की तैयारियां कागजों पर पूरी है और हकीकत में कोरी है.


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